1
दाऊद का पुत्रा सुलैमान राज्य में स्थिर हो गया, और उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग रहा और उसको बहुत ही बढ़ाया।
और सुलैमान ने सारे इस्राएल से, अर्थात् सहस्रपतियों, शतपतियों, न्यायियों और इस्राएल के सब रईसों से जो पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूष थे, बातें कीं।
और सुलैमान पूरी मण्डली समेत गिबोन के ऊंचे स्थान पर गया, क्योंकि परमेश्वर का मिलापवाला तम्बू, जिसे यहोवा के दास मूसा ने जंगल में बनाया था, वह वहीं पर था।
परन्तु परमेश्वर के सन्दूक को दाऊद किर्यत्यारीम से उस स्थान पर ले आया था जिसे उस ने उसके लिये तैयार किया था, उस ने तो उसके लिये यरूशलेम में एक तम्बू खड़ा कराया था।
और पीतल की जो वेदी ऊरी के पुत्रा बसलेल ने, जो हूर का पोता था, बनाई थी, वह गिबोन में यहोवा के निवास के साम्हने थी। इसलिये सुलैमान मण्डली समेत उसके पास गया।
और सुलैमान ने वहीं उस पीतल की वेदी के पास जाकर, जो यहोवा के साम्हने मिलापवाले तम्बू के पास थी, उस पर एक हजार होमबलि चड़ाए।
उसी दिन रात को परमेश्वर ने सुलैमान को दर्शन देकर उस से कहा, जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग।
सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करूणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है।
अब हे यहोवा परमेश्वर ! जो बचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूलि के किनकों के समान बहुत है।
अब मुझे ऐसी बुध्दि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर- बाहर आना- जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?
परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य्और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुध्दि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके,
इस कारण बुध्दि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।
तब सुलैमान गिबोन के ऊंचे स्थान से, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के साम्हने से यरूशलेम को आया और वहां इस्राएल पर राज्य करने लगा।
फिर सुलैमान ने रथ और सवार इकट्ठे कर लिये; और उसके चौदह सौ रथ और बारह हजार सवार थे, और उनको उस ने रथों के नगरों में, और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा।
और राजा ने ऐसा किया, कि यरूशलेम में सोने- चान्दी का मूल्य बहुतायत के कारण पत्थरों का सा, और देवदारों का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा बना दिया।
और जो घोड़े सुलैमान रखता था, वे मिस्र से आते थे, और राजा के रयापारी उन्हें झुणड के झुणड ठहराए हुए दाम पर लिया करते थे।
एक रथ तो छे सौ शेकेल चान्दी पर, और एक घोड़ा डेढ़ सौ शेकेल पर मिस्र से आता था; और इसी दाम पर वे हित्तियों के सब राजाओं और अराम के राजाओं के लिये उन्हीं के द्वारा लाया करते थे।
2
और सुलैमान ने यहोवा के नाम का एक भवन और अपना राजभवन बनाने का विचार किया।
इसलिए सुलैमान ने सत्तर हजार बोझिये और अस्सी हजार पहाड़ से पत्थर काटनेवाले और वृक्ष काटनेवाले, और इन पर तीन हजार छे सौ मुखिये गिनती करके ठहराए।
तब सुलैमान ने सोर के राजा हूराम के पास कहला भेजा, कि जैसा तू ने मेरे पिता दाऊद से बर्त्ताव किया, अर्थात् उसके रहने का भवन बनाने को देवदार भेजे थे, पैसा ही अब मुझ से भी बर्त्ताव कर।
देख, मैं अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाने पर हूँ, कि उसे उसके लिये पवित्रा करूं और उसके सम्मुख सुगन्धित धूम जलाऊं, और नित्य भेंट की रोटी उस में रखी जाए; और प्रतिदिन सबेरे और सांझ को, और विश्राम और नये चांद के दिनों में और हमारे परमेश्वर यहोवा के सब नियत पब्ब में होमबलि चढ़ाया जाए। इस्राएल के लिये ऐसी ही सदा की विधि है।
और जो भवन मैं बनाने पर हूं, वह महान होगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सब देवताओं में महान है।
परन्तु किस की इतनी शक्ति है, कि उसके लिये भवन बनाए, वह तो स्वर्ग में वरन सब से ऊंचे स्वर्ग में भी नहीं समाता? मैं क्या हूँ कि उसके साम्हने धूप जलाने को छोड़ और किसी मनसा से उसका भवन बनाऊं?
सो अब तू मेरे पास एक ऐसा मनुष्य भेज दे, जो सोने, चान्दी, पीतल, लोहे और बैंजनी, लाल और नीले कपड़े की कारीगरी में निपुण हो और नक्काशी भी जानता हो, कि वह मेरे पिता दाऊद के ठहराए हुए निपुण पनुष्यों के साथ होकर जो मेरे पास यहूदा और यरूशलेम में रहते हैं, काम करे।
फिर लबानोन से मेरे पास देवदार, सनोवर और चंदन की लकड़ी भेजना, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तेरे दास लबानोन में वृक्ष काटना जानते हैं, और तेरे दासों के संग मेरे दास भी रहकर,
मेरे लिये बहुत सी लकड़ी तैयार करेंगे, क्योंकि जो भवन मैं बनाना चाहता हूँ, वह बड़ा और अचम्भे के योग्य होगा।
और तेरे दास जो लकड़ी काटेंगे, उनको मैं बीस हजार कोर कूटा हुआ गंहूं, बीस हजार कोर जव, बीस हजार बत दाखमधु और बीस हजार बत तेल दूंगा।
तब सोर के राजा हूराम ने चिट्ठी लिखकर सुलैमान के पास भेजी, कि यहोवा अपनी प्रजा से प्रेम रखता है, इस से उस ने तुझे उनका राजा कर दिया।
फिर हूराम ने यह भी लिखा कि धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्वी का सृजनहार है, और उस ने दाऊद राजा को एक बुध्दिमान, चतुर और समझदार पुत्रा दिया है, ताकि वह यहोवा का एक भवन और अपना राजभवन भी बनाए।
इसलिये अब मैं एक बुध्दिमान और समझदार पुरूष को, अर्थात् हूराम- अबी को भेजता हूँ,
जो एक दानी स्त्री का बेटा है, और उसका पिता सोर का था। और वह सोने, चान्दी, पीतल, लोहे, पत्थर, लकड़ी, बैंजनी और नीले और लाल और सूक्ष्म सन के कपड़े का काम, और सब प्रकार की नक्काशी को जानता और सब भांति की कारीगरी बना सकता है : सो तेरे चतुर मनुष्याों के संग, और मेरे प्रभु तेरे पिता दाऊद के चतुर मनुष्यों के संग, उसको भी काम मिले।
और मेरे प्रभु ने जो गेहूं, जव, तेल और दाखमधु भेजने की चर्चा की है, उसे अपने दासों के पास भ्जिवा दे।
और हम लोग जितनी लकड़ी का तुझे प्रयोजन हो उतनी लबानोन पर से काटेंगे, और बेड़े बनवाकर समुद्र के मार्ग से जापा को पहुचाएंगे, और तू उसे यरूशलेम को ले जाना।
तब सुलैमान ने इस्राएली देश के सब परदेशियों की गिनती ली, यह उस गिनती के बाद हुई जो उसके पिता दाऊद ने ली थी; और वे डेढ़ लाख तीन हजार छे सौ पुरूष निकले।
उन में से उस ने सत्तर हजार बोझिये, अस्सी हजार पहाड़ पर पत्थर काटनेवाले और वृक्ष काटनेवाले और तीन हजार छे सौ उन लोगों से काम करानेवाले मुखिये नियुक्त किए।
3
तब सुलैमान ने यरूशलेम में मोरिरयाह नाम पहाड़ पर उसी स्थान में यहोवा का भवन बनाना आरम्भ किया, जिसे उसके पिता दाऊद ने दर्शन पाकर यबूसी ओर्नान के खलिहान में तैयार किया था :
उस ने अपने राज्य के चौथे वर्ष के दूसरे महीने के, दूसरे दिन को बनाना आरम्भ किया।
परमेश्वर का जो भवन सुलैमान ने बनाया, उसका यह ढव है, अर्थात् उसकी लम्बाई तो प्राचीन काल की नाप के अनुसार साठ हाथ, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ् की थी।
और भवन के साम्हने के ओसारे की लम्बाई तो भवन की चौड़ाई के बराबर बीस हाथ की; और उसकी ऊंचाई एक सौ बीस हाथ की थी। सुलैमान ने उसको भीतर चोखे सोने से मढ़वाया।
और भवन के बड़े भाग की छत उस ने सनोवर की लकड़ी से पटवाई, और उसको अच्छे सोने से मढ़वाया, और उस पर खजूर के वृक्ष की और सांकलों की नक्काशी कराई।
फिर शोभा देने के लिये उस ने भवन में मणि जड़वाए। और यह सोना पवैंम का था।
और उस ने भवन को, अर्थात् उसकी कड़ियों, डेवढ़ियों, भीतों और किवाडों को सोने से मढ़वाया, और भीतों पर करूब खुदवाए।
फिर उस ने भवन के परमपवित्रा स्थान को बनाया; उसकी लम्बाई तो भवन की चौड़ाई के बराबर बीस हाथ की थी, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ की थी; और उस ने उसे छे सौ किक्कार चोखे सोने से मढ़वाया।
और सोने की कीलों का तौल पचास शेकेल था। और उस ने अटारियों को भी सोने से मढ़वाया।
फिर भवन के परमपवित्रा स्थान में उसने नक्काशी के काम के दो करूब बनवाए और वे सोने से मढ़वाए गए।
करूबों के पंख तो सब मिलकर बीस हाथ लम्बे थे, अर्थात् एक करूब का एक पंख पांच हाथ का और भवन की भीत तक पहुंचा हुआ था; और उसका दूसरा पंख पांच हाथ का था और दूसरे करूब के पंख से मिला हुआ था।
और दूसरे करूब का भी एक पंख पांच हाथ का और भवन की दूसरी भीत तक पहुंचा था, और दूसरा पंख पांच हाथ का और पहिले करूब के पंख से सटा हुआ था।
इन करूबों के पंख बीस हाथ फैले हुए थे; और वे अपने अपने पांवों के बल खड़े थे, और अपना अपना मुख भीतर की ओर किए हुए थे।
फिर उस ने बीचवाले पर्दे को नीले, बैंजनी और लाल रंग के सन के कपड़े का बनवाया, और उस पर करूब कढ़वाए।
और भवन के साम्हने उस ने पैंतीस पैंतीस हाथ ऊंचे दो खम्भे बनवाए, और जो कंगनी एक एक के ऊपर थी वह पांच पांच हाथ की थी।
फिर उस ने भीतरी कोठरी में सांकलें बनवाकर खम्भों के ऊपर लगाई, और एक सौ अनार भी बनाकर सांकलों पर लटकाए।
उस ने इन ख्म्भों को मन्दिर के साम्हने, एक तो उसकी दाहिनी ओर और दूसरा बाई ओर खड़ा कराया; और दाहिने खम्भे का नाम याकीन और बायें खम्भे का नाम बोअज़ रखा।
4
फिर उस ने पीतल की एक वेदी बनाई, उसकी लम्बाई और चौड़ाई बीस बीस हाथ की और ऊंचाई दस हाथ की थी।
फिर उस ने एक ढाला हुआ हौद बनवाया; जो छोर से छोर तक दस हाथ तक चौड़ा था, उसका आकार गोल था, और उसकी ऊंचाई पांच हाथ की थी, और उसके चारों ओर का घेर तीस हाथ के नाप का था।
और उसके तले, उसके चारों ओर, एक एक हाथ में दस दस बैलों की प्रतिमाएं बनी थीं, जो हौद को घेरे थीं; जब वह ढाला गया, तब ये बैल भी दो पांति करके ढाले गए।
और वह बारह बने हुए बैलों पर धरा गया, जिन में से तीन उत्तर, तीन पश्चिम, तीन दक्खिन और तीन पूर्व की ओर मुंह किए हुए थे; और इनके ऊपर हौद घरा था, और उन सभों के पिछले अंग भीतरी भाग में पड़ते थे।
और हौद की मोटाई चौवा भर की थी, और उसका मोहड़ा कटोरे के मोहड़े की नाई, सोसन के फूलों के काम से बना था, और उस में तीन हजार बत भरकर समाता था।
फिर उस ने धोने के लिये दस हौदी बनवाकर, पांच दाहिनी और पांच बाई ओर रख दीं। उन में होमबलि की वस्तुएं धोई जाती थीं, परन्तु याजकों के धोने के लिलये बड़ा हौद था।
फिर उस ने सोने की दस दीवट विधि के अनुसार बनवाई, और पांच दाहिनी ओर और पांच बाई ओर मन्दिर में रखवा दीं।
फिर उस ने दस मेज बनवाकर पांच दाहिनी ओर और पाच बाई ओर मन्दिर में रखवा दीं। और उस ने सोने के एक सौ कटोरे बनवाए।
फिर उस ने याजकों के आंगन और बड़े आंगन को बनवाया, और इस आंगन में फाटक बनवाकर उनके किवाड़ों पर पीतल मढ़वाया।
और उस ने हौद को भवन की दाहिनी ओर अर्थात् पूर्व और दक्खिन के कोने की ओर रखवा दिया।
और हूराम ने हण्डों, फावड़ियों, और कटोरों को बनाया। और हूराम ने राजा सुलैमान के लिये परमेश्वर के भवन में जो काम करना था उसे निपटा दिया :
अर्थात् दो खम्भे और गोलों समेत वे कंगनियां जो खम्भों के सिरों पर थीं, और खम्भों के सिरों पर के गोलों को ढांपने के लिए जालियों की दो दो पांति;
और दोनों जालियों के लिये चार सौ अनार और जो गोले खम्भों के सिरों पर थे, उनको ढांपनेवाली एक एक जाली के लिये अनारों की दो दो पांति बनाई।
फिर उस न कुर्सियां और कुर्सियों पर की हौदियां,
और उनके नीचे के बारह बैल बनाए।
फिर हूराम- अबी ने हण्डों, फावड़ियों, कांटों और इनके सब सामान को यहोवा के भवन के लिये राजा सुलैमान की आज्ञा से झलकाए हुए पीतल के बनवाए।
राजा ने उसको यरदन की तराई में अर्थात् सुक्कोत और सारतान के बीच की चिकनी मिट्टीवाली भूमि में ढलवाया।
सुलैमान ने ये सब पात्रा बहुत बनवाए, यहां तक कि पीतल के तौल का हिसाब न था।
और सुलैमान ने परमेश्वर के भवन के सब पात्रा, सोने की वेदी, और वे मेज जिन पर भेंट की रोटी रखी जाती थीं,
और दीपकों समेत चोखे सोने की दीवटें, जो विधि के अनुसार भीतरी कोठरी के साम्हने जला करतीं थीं।
और सोने बरन निरे सोने के फूल, दीपक और चिमटे;
और चोखे सोने की कैंचियां, कटोरे, धूपदान और करछे बनवाए। फिर भवन के द्वार और परम पवित्रा स्थान के भीतरी किवाड़ और भवन अर्थात् मन्दिर के किवाड़ सोने के बने।
5
इस प्रकार सुलैमान ने यहोवा के भवन के लिये जो जो काम बनवाया वह सब निपट गया। तब सुलैमान ने अपने पिता दाऊद के पवित्रा किए हुए सोने, चान्दी और सब पात्रों को भीतर पहुंचाकर परमेश्वर के भवन के भएडारों में रखवा दिया।
तब सुलैमान ने इस्राएल के पुरनियों को और गोत्रों के सब मुखय पुरूष, जो इस्राएलियों के पितरों के घरानों के प्रधान थे, उनको भी यरूशलेम में इस मनसा से इकट्ठा किया, कि वे यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदपुर से अर्थात् सिरयोन से ऊपर लिवा ले आएं।
सब इस्राएली पुरूष सातवें महीने के पर्व के समय राजा के पास इकट्ठे हुए।
जब इस्राएल के सब पुरनिये आए, तब लेवियों ने सन्दूक को उठा लिया।
और लेवीय याजक सन्दूक और मिलाप का तम्बू और जितने पवित्रा पात्रा उस तम्बू में थे उन सभों को ऊपर ले गए।
और राजा सुलैमान और सब इस्राएली मण्डली के लोग जो उसके पास इकट्ठे हुए थे, उन्हों ने सन्दूक के साम्हने इतनी भेड़ और बैल बलि किए, जिनकी गिनती और हिसाब बहुतायत के कारण न हो सकती थी।
तब याजकों ने यहोवा की वाचा का सनदूक उसके स्थान में, अर्थात् भवन की भीतरी कोठरी में जो परमपवित्रा स्थान है, पहंचाकर, करूबों के पंखों के तले रख दिया।
सन्दूक के स्थान के ऊपर करूब तो पंख फैलाए हुए थे, जिससे वे ऊपर से सन्दूक और उसके डणडों को ढांपे थे।
डणडे तो इतने लम्बे थे, कि उनके सिरे सन्दूक से निकले हुए भीतरी कोठरी के साम्हने देख पड़ते थे, परन्तु बाहर से वे दिखई न पड़ते थे। वे आज के दिन तक वहीं हैं।
सन्दूक में पत्थ्र की उन दो पटियाओं को छोड़ कुछ न था, जिन्हें मूसा ने होरेब में उसके भीतर उस समय रखा, जब यहोवा ने इस्राएलियों के मिस्र से निकलने के बाद उनके साथ वाचा बान्धी थी।
जब याजक पवित्रास्थान से निकले ( जितने याजक उपस्थित थे, उन सभों ने तो अपने अपने को पवित्रा किया था, और अलग अलग दलों में होकर सेवा न करते थे;
और जितने लेवीय गवैये थे, वे सब के सब अर्थात् मुत्रों और भइयों समेत आसाप, हेमान और यदूतून सन के वस्त्रा पहिने झांझ, सारंगियां और वीणाएं लिये हुए, वेदी के पूर्व अलंग में खड़े थे, और उनके साथ एक सौ बीस याजक तुरहियां बजा रहे थे।)
तो जब तुरहियां बजानेवाले और गानेवाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियां, झांझ आदि बाजे बजाते हुए यहोवा की यह स्तुति ऊंचे शब्द से करने लगे, कि वह भला है और उसकी करूणा सदा की है, तब यहोवा के भवन मे बादल छा गया,
और बादल के कारण याजक लोग सेवा- टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था।
6
तब सुलैमान कहने लगा, यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार मैं वास किए रहूंगा।
परन्तु मैं ने तेरे लिये एक वासस्थान वरन ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिस में तू युग युग रहे।
और राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुंह फेरकर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही।
और उस ने कहा, धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिस ने अपने मुंह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,
कि जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैं ने न तो इस्राएल के किसी गोत्रा का कोई नगर चुना जिस में मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
परन्तु मैं ने यरूशलेम को इसलिये चुना है, कि मेरा नाम वहां हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
मेरे पिता दाऊद की यह मनसा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, तेरी जो मनसा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा करके नू ने भला तो किया;
तौभी तू उस भवन को बनाने न पाएगा : तेरा जो निज पुत्रा होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।
यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उस ने पूरा भी किया है; ओर मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है।
और इस में मैं ने उस सन्दूक को रख दिया है, जिस में यहोवा की वह वाचा है, जो उस ने इस्राएलियों से बान्धी थी।
तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के साम्हने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए।
सुलैमान ने पांच हाथ लम्बी, पांच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊंची पीतल की एक चौकी बनाकर आंगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े होकर उस ने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा,
हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई ईश्वर है : तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर जलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करूणा करता रहता है।
तू ने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है; जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आंखों के साम्हने पूरा भी किया है।
इसलिये अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा इस वचन को भी मूरा कर, जो तू ने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, कि तेरे कुल में मेरे साम्हने इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे, यह हो कि जैसे तू अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चाल चलन में ऐसी चौकसी करें, कि मेरी रयवस्था पर चलें।
अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा जो वचन तू ने अपने दास दाऊद को दिया थ, वह सव्चा किया जाए।
परन्तु क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों के संग पुथ्वी पर वास करेगा? स्वर्ग में वरन सब से ऊंचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में तू क्योंकर समाएगा?
तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर ध्यान दे और मेरी पुकार और यह प्रार्थना सुन, जो मैं तेरे साम्हने कर रहा हूँ।
वह यह है कि तेरी आंखें इस भवन की ओर, अर्थत् इसी स्थान की ओर जिसके विषय में तू ने कहा है कि मैं उस में अपना नाम रखूंगा, रात दिन खुली रहें, और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले।
और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुंह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवासस्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना।
जब कोई किसी दूसरे का अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के साम्हने शपथ खाए,
तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लैटा देना, और निदष को निदष ठहराकर, उसके धर्म के अनुसार उसको फल देना।
फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरूद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाएं, और तेरी ओर फिरका तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट करें,
तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तू ने उनको और उनके पुरखाओं को दिया है।
तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर जिसे तू ने अपनी प्रजा का भाग करके दिया है, पानी बरसा देना।
जब इस देश में काल वा मरी वा झुलस हो वा गेरूई वा टिडि्डयां वा कीड़े लगें, वा उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, वा कोई विपत्ति वा रोग हो;
तब यदि कोई मनुष्य वा तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना अपना दु:ख और अपना अपना खेद जान कर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाए;
जो तू अपने स्वग य निवासस्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है);
कि वे जितने दिन इस देश में रहें, जिसे तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, उतने दिन तक तेरा भय मानते हुए तेरे माग पर चनते रहें।
फिर परदेशी भी जो तेरी प्रजा इस्राएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दूर देश से आए, और आकर इस भवन की ओर मुंह किए हुए प्रार्थना करे,
तब तू अपने स्वग य निवासस्थान में से सुने, और जिस बात के लिये ऐसा परदेशी तुझे पुकारे, उसके अनुसार करना; जिस से पुथ्वी के सब देशों के लोग तेरा नाम जानकर, तेरी प्रजा इस्राएल की नाई तेरा भय मानें; और निश्चय करें, कि यह भवन जो मैं ने बनाया है, वह तेरा ही कहलाता हैं।
जब तेरी प्रजा के लोग जहां कहीं तू उन्हें भेजे वहां अपने शत्रुओं से लड़ाई करने को निकल जाएं, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुंह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
तब तू स्वर्ग में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना।
निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है, यदि वे भी तेरे विरूद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हेें बन्धुआ करके किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएं,
तो यदि वे बन्धुआई के देश में सोच विचर करें, और फिरकर अपनी बन्धुआई करनेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, कि हम ने पाप किया, और कुटिलता और दूष्टता की है;
सो यदि वे अपनी बन्धुआई के देश में जहां वे उन्हें बन्धुआ करके ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुंह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,
तो तू अपने स्वग य निवासस्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरूद्ध करें, उन्हें क्षमा करना।
और हे मेरे परमेश्वर ! जो प्रार्थना इस स्थान में की जाए उसकी ओर अपनी आंखें खोले रह और अपने कान लगाए रख।
अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उठ्ठाररूपी वस्त्रा पहिने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें।
हे यहोवा परमेश्वर, अपने अभिशिक्त की प्रार्थना को अनसुनी न कर, तू अपने दास दाऊद पर की गई करूणा के काम स्मरण रख।
7
जब सुलैमान यह प्रार्थना काजुका, तब स्वर्ग से आग ने गिरकर होमबलियों तथा और बलियों को भस्म किया, और यहोवा का तेज भवन में भर गया।
और याजक यहोवा के भवन में प्रवेश न कर सके, क्योंकि यहोवा का तेज यहोवा के भवन में भर गया था।
और जब आग गिरी और यहोवा का तेज भवन पर छा गया, तब सब इस्राएली देखते रहे, और फर्श पर झुककर अपना अपना मुंह भूमि की ओर किए हुए दणडवत किया, और यों कहकर यहोवा का धन्यवाद किया कि, वह भला है, उसकी करूणा सदा की है।
तब सब प्रजा समेत राजा ने यहोवा को बलि चढ़ाई।
और राजा सुलैमान ने बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ - बकरियां चढ़ाई। यों पूरी प्रजा समेत राजा ने यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की।
और याजक अपना अपना कार्य करने को खड़े रहे, और लेवीय भी यहोवा के गीत के गाने के लिये बाजे लिये हूए खड़े थे, जिन्हें दाऊद राजा ने यहोवा की सदा की करूणा के कारण उसका धन्यवाद करने को बनाकर उनके द्वारा स्तुति कराई थी; और इनके साम्हने याजक लोग तुरहियां बजाते रहे; और सब इस्राएली क्षड़े रहे।
फिर सुलैमान ने यहोवा के भवन के साम्हने आंगन के बीच एक स्थान ववित्रा करके होमबलि और मेलबलियों की चब वहीं चढ़ाई, क्योंकि सुलैमान की बनाई इई पीतल की बेदी होमबलि और अन्नबलि और चब के लिये छोटी थी।
उसी समय सुलैमान ने और उसके संग हमात की घाटी से लेकर मिस्र के नाले तक के सारे इस्राएल की एक बहुत बड़ी सभा ने सात दिन तक पर्व को माना।
और आठवें दिन को उन्हों ने महासभा की, उन्हों ने वेदी की प्रतिष्ठा सात दिन की; और पव को भी सात दिन माना।
निदान सातवें महीने के तेइसवें दिन को उस ने प्रजा के लोगों को विदा किया, कि वे अपने अपने डेरे को जाएं, और वे उस भलाई के कारण जो यहोवा ने दाऊद और सुलैमान और अपनी प्रजा इस्राएल पर की थी आनन्दित थे।
यों सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन में और अपने भवन में जो कुछ उस ने बनाना चाहा, उस में उसका मनोरथ पूरा हुआ।
तब यहोवा ने रात में उसको दर्शन देकर उस से कहा, मैं ने तेरी प्रार्थाना सुनी और इस स्थान को यज्ञ के भवन के लिये अपनाया है।
यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूं, कि वर्षा न हो, वा टिडियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूं, वा अपनी प्रजा में मरी फैलाऊं,
तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा।
अब से जो प्रार्थना इस स्थान में की जाएगी, उस पर मेरी आंखें खुली और मेरे कान लगे रहेंगे।
और अब मैं ने इस भवन को अपनाया और पवित्रा किया है कि मेरा नाम सदा के लिये इस में बना रहे; मेरी आंखें और मेरा मन दोनों नित्य यहीं लगे रहेंगे।
और यदि तू अपने पिता दाऊद की नाई अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहे और मेरी सब आज्ञाओं के अनुसार किया करे, और मेरी विधियों और नियमों को मानता रहे,
तो मैं तेरी राजगद्दी को स्थिर रखूंगा; जैसे कि मैं ने तेरे पिता दाऊद के साथ वाचा बान्धी थी, कि तेरे कुल में इस्राएल पर प्रभुता करनेवाला सदा बना रहेगा।
परन्तु यदि तुम लोग फिरो, और मेरी विधियों और आज्ञाओं को जो मैं ने तुम को दी हैं त्यागो, और जाकर पराये देवताओं की उपासना करो और उन्हें दणडवत करो,
तो मैं उनको अपने देश में से जो मैं ने उनको दिया है, जड़ से उखाडूंगा; और इस भवन को जो मैं ने अपने नाम के लिये पवित्रा किया है, अपनी दृष्टि से दूर करूंगा; और ऐसा करूंगा कि देश देश के लोगों के बीच उसकी उपमा और नामधराई चलेगी।
और यह भवन जो इतना विशाल है, उसके पास से आने जानेवाले चकित होकर पूछेंगे कि यहोवा ने इस देश और इस भवन से ऐसा क्यों किया है।
तब लोग कहेंगे, कि उन लोगों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को जो उनको मिस्र देश से निकाल लाया था, त्यागकर पराये देवताओं को ग्रहण किया, और उन्हें दझाडवत की और उनकी उपासना की, इस कारण उस ने यह सब विपत्ति उन पर डाली है।
8
सुलैमान को यहोवा के भवन और अपने भवन के बनाने में बीस वर्ष लगे।
तब जो नगर हूराम ने सुलैमान को दिए थे, उन्हें सुलैमान ने दृढ़ करके उन में इस्राएलियों को बसाया।
तब सुलैमान सोबा के हमात को जाकर, उस पर जयवन्त हुआ।
और उस ने तदमोर को जो जंगल में है, और हमात के सब भणडार नगरों को दृढ़ किया।
फिर उस ने ऊपरवाले और नीचेवाले दोनों बेथोरोन को शहरपनाह और फाटकों और बेड़ों से दृढ़ किया।
और उस ने बालात को और सुलैमान के जितने भणडार नगर थे और उसके रथों और सवारों के जितने नगर थे उनको, और जो कुछ सुलैमान ने यरूशलेम, लबानोन और अपने राज्य के सब देश में बनाना चाहा, उन सब को बनाया।
हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, हिरिवयों और यबूसियों के बचे हुए लोग जो इस्राएल के न थे,
उनके वंश जो उनके बाद देश में रह गए, और जिनका इस्राएलियों ने अन्त न किया था, उन में से तो कितनों को सुलैमान ने बेगार में रखा और आज तक उनकी वही दशा है।
परन्तु इस्राएलियों में से सुलैमान ने अपने काम के लिये किसी को दास न बनाया, वे तो योठ्ठा और उसके हाकिम, उसके सरदार और उसके रथें और सवारों के प्रधान हुए।
और सुलैमान के सरदारों के प्रधान जो प्रजा के लोगों पर प्रभुता करनेवाले थे, वे अढ़ाई सौ थे।
फिर सुलैमान फ़िरौन की बेटी को दाऊदपुर में से उस भवन में ले आया जो उस ने उसके लिये बनाया था, क्योंकि उस ने कहा, कि जिस जिस स्थान में यहोवा का सन्दूक आया है, वह पवित्रा है, इसलिये मेरी रानी इस्राएल के राजा दाऊद के भवन में न रहने पाएगी।
तब सुलैमान ने यहोवा की उस वेदी पर जो उस ने ओसारे के आगे बनाई थी, यहोवा को होमबलि चढ़ाई।
वह मूसा की आज्ञा के और दिन दिन के प्रयोजन के अनुसार, अर्थात् विश्राम और नये चांद और प्रति वर्ष तीन बार ठहराए हुए पव अर्थात् अखमीरी रोटी के परर्व, और अठवारों के परर्व, और झोपड़ियों के परर्व में बलि चढ़ाया करता था।
और उस ने अपने पिता दाऊद के नियम के अनुसार याजकों की सेवकाई के लिये उनके दल ठहराए, और लेवियों को उनके कामों पर ठहराया, कि हर एक दिन के प्रयोजन के अनुसार वे यहोवा की स्तुति और याजकों के साम्हने सेवा- टहल किया करें, और एक एक फाटक के पास द्वारपालों को दल दल करके ठहरा दिया; क्योंकि परमेश्वर के भक्त दाऊद ने ऐसी आज्ञा दी थी।
और राजा ने भणडारों या किसी और बात में याजकों और लेवियों के लिये जो जो आज्ञा दी थी, उन्होंने न टाला।
और सुलैमान का सब काम जो उस ने यहोवा के भ्वन की नेव डालने से लेकर उसके पूरा करने तक किया वह ठीक हुआ। निदान यहोवा का भवन पूरा हुआ।
तब सुलैमान एस्योनगेबेर और एलोत को गया, जो एदोम के देश में समुद्र के तीर पर हैं।
और हूराम ने उसके पास अपने जहाजियों के द्वारा जहाज और समुद्र के जानकार मल्लाह भेज दिए, और उन्हों ने सुलैमान के जहाजियों के संग ओपीर को जाकर वहां से साढ़े चार सौ किक्कार सोना राजा सुलैमान को ला दिया।
9
जब शीबा की रानी ने सुलैमान की कीर्त्ति सुनी, तब वह कठिन कठिन प्रश्नों से उसकी परीक्षा करने के लिये यरूशलेम को चली । वह बहुत भारी दल और मसालों और बहुत सोने और मणि से लदे ऊंट साथ लिये हुए आई, और सुलैमान के पास पहुंचकर उससे अपने मन की सब बातों के विषय बातें कीं।
सुलैमान ने उसके सब प्रश्नों का उत्तर दिया, कोई बात सुलैमान की बुध्दि से ऐसी बाहर न रही कि वह उसे न बता सके।
जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुध्दिमानी और उसका बनाया हुआ भवन
और उसकी मेज पर का भोजन देखा, और उसके कर्मचारी किस रीति बैठते और उसके ठहलुए किस रीति खड़े रहते और कैसे कैसे कपड़े पहिने रहते हैं, और उसके पिलानेवाले कैसे हैं, और वे कैसे कपड़े पहिने हैं, और वह कैसी चढ़ाई है जिस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है, जब उस ने यह सब देखा, तब वह चकित हो गई।
तब उस ने राजा से कहा, मैं ने तेरे कामों और बुध्दिमानी की जो कीर्त्ति अपने देश में सुनी वह सच ही है।
परन्तु जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की; परन्तु तेरी बुध्दि की आधी बड़ाई भी मुझे न बताई गई थी; तू उस कीर्त्ति से बढ़कर है जो मैं ने सुनी थी।
धन्य हैं तेरे जन, धन्य हैं तेरे ये सेवक, जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुध्दि की बातें सुनते हैं।
धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझ से ऐसा प्रसन्न हुआ, कि तुझे अपनी राजगद्दी पर इसलिये विराजमान किया कि तू अपने परमेश्वर यहोवा की ओर से राज्य करे; तेरा परमेश्वर जो इस्राएल से प्रेम करके उन्हें सदा के लिये स्थ्रि करना जाहता थ, उसी कारण उस ने तुझे न्याय और धर्म करने को उनका राजा बना दिया।
और उस ने राजा को एक सौ बीस किक्कार सोना, बहुत सा सुगन्ध द्ररय, और मणि दिए; जैसे सुगन्धद्ररय शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को दिए, वैसे देखने में नहीं आए।
फिर हूराम और सुलैमान दोनों के जहाजी जो ओषीर से सोना लाते थे, वे चन्दन की लकड़ी और मणि भी लाते थे।
और राजा ने चन्दन की लकड़ी से यहोवा के भवन और राजभवन के लिये चबूतरे और गवैयों के लिये वीणाएं और सारंगियां बनवाई; ऐसी वस्तुएं उस से पहिले यहूदा देश में न देख पड़ी थीं
और शीबा की रानी ने जो कुछ चाहा वही राजा सुलैमान ने उसको उसकी इच्छा के अनुसार दिया; यह उस से अधिक था, जो वह राजा के पास ले आई थी। तब वह अपने जनों समेत अपने देश को लौट गई।
जो सोना प्रति वर्ष सुलैमान के पास पहुचा करता था, उसका तौल छे सौ छियासठ किक्कार था।
यह उस से अधिक था जो सौदागर और रयापारी लाते थे; और अरब देश के सब राजा और देश के अधिपति भी सुलैमान के पास सोना चान्दी लाते थे।
और राजा सुलैमान ने सोना गढ़ाकर दो सौ बड़ी बड़ी ढालें बनवाई; एक एक ढाल में छेछेसौ शेकेल गढ़ा हुआ सोना लगा।
फिर उस ने सोना गढ़ाकर तीन सौ छोटी ढालें और भी बनवाई; एक एक छोटी ढाल मे तीन सौ शेकेल सोना लगा, और राजा ने उनको लबानोनी बन नामक भवन में रखा दिया।
और राजा ने हाथीदांत का एक बड़ा सिंहासन बनाया और चोखे सोने से मढ़ाया।
उस सिंहासन में छे सीढियां और सोने का एक पावदान था; ये सब सिंहासन से जुड़े थे, और बैठने के स्थान की दोनोें अलंग टेक लगी थी और दोनों टेकों के पास एक एक सिंह खड़ा हुआ बना था।
और छहों सीढ़ियों की दोनों अलंग में एक एक सिंह खड़ा हुअ बना था, वे सब बारह हुए। किसी राज्य में ऐसा कभी न बना।
और रजा सुलैमान के पीने के सब पात्रा सोने के थे, और लबानोनी बन नामक भवन के सब पात्रा भी चोखे सोने के थे; सुलैमान के दिनों में चान्दी का कुछ हिसाब न था।
क्योंकि हूराम के जहाजियों के संग राजा के तश श को जानेवाले जहाज थे, और तीन तीन वर्ष के बाद वे तश श के जहाज सोना, चान्दी, हाथीदांत, बन्दर और मोर ले आते थे।
यों राजा सुलैमान धन और बुध्दि में पृथ्वी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया।
और पृथ्वी के सब राजा सुलैमान की उस बुध्दि की बातें सुनने को जो परमेश्वर ने उसके मन में उपजाई थीं उसका दर्शन करना चाहते थे।
और वे प्रति वर्ष अपनी अपनी भेंट अर्थात् चान्दी और सोने के पात्रा, वस्त्रा- शस्त्रा, सुगन्धद्ररय, घोड़े और खच्चर ले आते थे।
और अपने घेड़ों और रथों के लिये सुलैमान के चार हजार थान और बारह हजार सवार भी थे, जिनको उस ने रथों के नगरों में और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा।
और वह महानद से ले पलिश्तियों के देश और मिस्र के सिवाने तक के सब राजाओं पर प्रभुता करता था।
और राजा ने ऐसा किया, कि बहुतायत के कारण यरूशलेम में चान्दी का मूल्य पत्थरों का और देवदार का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा हो गया।
और लोग मिस्र से और और सब देशों से सुलैमान के लिये घोड़े लाते थे।
आदि से अन्त तक सुलैमान के और सब काम क्या नातान नबी की पुस्तक में, और शीलोवासी अहिरयाह की तबूवत की पुस्तक में, और नबात के पुत्रा यारोबाम के विषय इद्दॊ दश के दर्शन की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?
सुलैमान ने यरूशलेम में सारे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक राज्य किया।
और सुलैमान अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पिता दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्रा रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ।
10
रहूबियाम शकेम को गया, क्योंकि सारे इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे।
और नबात के पुत्रा यारोबाम ने यह सुना (वह तो मिस्र में रहता था, जहां वह सुलैमान राजा के डर के मारे भाग गया था), और यारोबाम मिस्र से लौट आया।
तब उन्हों ने उसको बुलवप भेजा; सो यारोबाम और सब इस्राएली आकर रहूबियाम से कहने लगे,
तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था, इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को और उस भारी जूए को जिसे उस ने हम पर डाल रखा है कुछ हलका कर, तब हम तेरे अधीन रहेंगे।
उस ने उन से कहा, तीन दिन के उपरान्त मेरे पास फिर आना, तो वे चले गए।
तब राजा रहूबियाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके साम्हने अपस्थ्ति रहा करते थे, यह कहकर सम्मति ली, कि इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इस में तुम क्या सम्मति देते हो?
उन्हों ने उसको यह उत्तर दिया, कि यदि तू इस प्रजा के लोगों से अच्छा बर्त्ताव करके उन्हें प्रसन्न करे और उन से मधुर बातें कहे, तो वे सदा तेरे अधीन बने रहेंगे।
परन्तु उस ने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे।
उन से उस ने पूछा, मैं प्रजा के लोगों को कैसा उत्तर दूं, इस में तुम क्या सम्मति देते हो? उन्हों ने तो मुझ से कहा है, कि जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हलका कर।
जवानों ने जो उस के संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, कि उन लागों ने तुझ से कहा है, कि तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु उसे हमारे लिये हलका कर; तू उन से यों कहना, कि मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कटि से भी मोटी ठहरेगी।
मेरे मिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूंगा; मेरा पिता तो तूम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूंगा।
तीसरे दिन जैसे राजा ने ठहराया था, कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और सारी प्रजा रहूबियाम के पास उपस्थित हुई।
तब राजा ने उस से कड़ी बातें कीं, और रहूबियाम राजा ने बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर
जवानों की सम्मति के अनुसार उन से कहा, मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी कठिन कर दूंगा; मेरे पिता ने तो तुम को कोड़ों से ताड़ना दी, परन्तु मैं बिच्छुओं से ताड़ना दूंगा।
इस प्रकार राजा ने प्रजा की बिनती न मानी; इसका कारण यह है, कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिरयाह के द्वारा नबात के पुत्रा यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये परमेश्वर ने ऐसा ही ठहराया था।
जब सब इस्राएलियों ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले कि दाऊद के साथ हमारा क्या अंश? हमारा तो यिशै के पुत्रा में कोई भाग नहीं है। हे इस्राएलियो, अपने अपने डेरे को चले जाओ। अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता कर।
तब सब इस्राएली अपने डेरे को चले गए। केवल जितने इस्राएली यहूदा के नगरों में बसे हुए थे, उन्हीं पर रहूबियाम राज्य करता रहा।
तब राजा रहूबियाम ने हदोराम को जो सब बेगारों पर अधिकारी था भेज दिया, और इस्राएलियों ने उसको पत्थ्रवाह किया और वह मर गया। तब रहूबियाम फुत से अपने रथ पर चढ़कर, यरूशलेम को भाग गया।
यों इस्राएल दाऊद के घराने से फिर गया और आज तक फिरा हुआ है।
11
जब रहूबियाम यरूशलेम को आया, तब उस ने यहूदा और बिन्यामीन के घराने को जो मिलकर एक लाख अस्सी हजार अच्छे योठ्ठा थे इकट्ठा किया, कि इस्राएल के साथ युठ्ठ करें जिस से राज्य रहूबियाम के वश में फिर आ जाए।
तब यहोवा का यह वचन परमेश्वर के भक्त शमायाह के पास पहुंचा,
कि यहूदा के राजा सुलैमान के पुत्रा रहूबियाम से और यहूदा और बिन्यामीन के सब इस्राएलियों से कह,
यहोवा यों कहता है, कि अपने भाइयों पर चढ़ाई करके युठ्ठ न करो। तुम अपने अपने घर लौट जाओ, क्योंकि यह बात मेरी ही ओर से हुई है। यहोवा के ये वचन मानकर, वे यारोबाम पर बिना चढ़ाई किए लौट गए।
सो रहूबियाम यरूशलेम में रहने लगा, और यहूदा में बचाव के लिये ये नगर दृढ़ किए,
अर्थात् बेतलेहेम, एताम, तकोआ,
बेत्सूर, सोको, अदुल्लाम।
गत, मारेशा, जीप।
अदोरैम, लाकीश, अजेका।
सोरा, अरयालोत और हेब्रोन जो यहूदा और बिन्यामीन में हैं, दृढ़ किया।
और उस ने दृढ़ नगरों को और भी दृढ़ करके उन में प्रधान ठहराए, और भोजन वस्तु और तेल और दाखमधु के भणडार रखवा दिए।
फिर एक एक नगर में उस ने ढालें और भाले रखवाकर उनको अत्यन्त दृढ़ कर दिया। यहूदा और बिन्यामीन तो उसके थे।
और सारे इस्राएल के याजक और लेवीय भी अपने सब देश से उठकर उसके पास गए।
यों लेवीय अपनी चराइयों और निज भूमि छोड़कर, यहूदा और यरूशलेम में आए, क्योंकि यारोबाम और उसके पुत्रों ने उनको निकाल दिया था कि वे यहोवा के लिये याजक का काम न करें।
और उस ने ऊंचे स्थानों और बकरों और अपने बनाए हुए बछड़ों के लिये, अपनी ओर से याजक ठहरा लिए।
और लेवियों के बाद इस्राएल के सब गोत्रों में से जितने मन लगाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के खोजी थे वे अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को बलि चढ़ाने के लिये यरूशलेम को आए।
और उन्हों ने यहूदा का राज्य स्थिर किया और सुलैमान के पुत्रा रहूबियाम को तीन वर्ष तक दृढ़ कराया, क्योंकि तीन वर्ष तक वे दाऊद और सुलैमान की लीक पर चलते रहे।
और रहूबियाम ने एक स्त्री को ब्याह लिया, अर्थात् महलत को जिसका पिता दाऊद का पुत्रा यरीमोत और माता यिशै के पुत्रा एलीआब की बेटी अबीहैल थी।
और उस से यूश, शमर्याह और जाहम नाम पुत्रा उत्पन्न हुए।
और उसके बाद उस ने अबशलोम की बेटी माका को ब्याह लिया, और उस से अबिरयाह, अत्ते, जीजा और शलोमीत उत्पन्न हुए।
रहूबियाम ने अठारह रानियां ब्याह लीं और साठ रखेलियां रखीं, और उसके अठाईस बेटे और साठ बेटियां उत्पन्न हुई। अबशलोम की नतिनी माका से वह अपनी सब रानियों और रखेलियों से अधिक प्रेम रखता था;
सो रहूबियाम ने माका के बेटे अबिरयाह को मुख्य और सब भाइयों में प्रधान इस मनसा से ठहरा दिया, कि उसे राजा बनाए।
और वह समझ बूझकर काम करता था, और उस ने अपने सब पुत्रों को अलग अलग करके यहूदा और बिन्यामीन के सब दाशों के सब गढ़वाले नगरों में ठहरा दिया; और उन्हें भोजन वस्तु बहुतायत से दी, और उनके लिये बहुत सी स्त्रियां ढूंढ़ी।
12
परन्तु जब रहूबियाम का राज्य दृढ़ हो गया, और वह आप स्थिर हो गया, तब उस ने और उसके साथ सारे इस्राएल ने यहोवा की रयवस्था को त्याग दिया।
उन्हों ने जो यहोवा से विश्वासघात किया, उस कारण राजा रहूबियाम के पांचपें वर्ष में मिस्र के राजा शीशक ने,
बारह सौ रथ और साठ हजार सवार लिये हुए यरूशलेम पर चढ़ाई की, और जो लोग उसके संग मिस्र से आए, अर्थात् लूबी, सुक्किरयी, कूशी, ये अनगिनत थे।
और उस ने यहूदा के गढ़वाले नगरों को ले लिया, और यरूशलेम तक आया।
तब शमायाह नबी रहूबियाम और यहूदा के हाकिमों के पास जो शीशक के डर के मारे यरूशलेम में इट्ठे हुए थे, आकर कहने लगा, यहोवा यों कहता है, कि तुम ने मुझ को छोड़ दिया है, इसलिये मैं ने तुम को छोड़कर शीशक के हाथ में कर दिया है।
तब इस्राएल के हाकिम और राजा दीन हो गए, और कहा, यहोवा धम है।
जब यहोवा ने देखा कि वे दीन हुए हैं, तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुंचा कि वे दीन हो गए हैं, मैं उनको नष्ट न करूंगा; मैं उनका कुछ बचाव करूंगा, और मेरी जलजलाहट शीशक के द्वारा यरूशलेम पर न भड़केगी।
तौभी वे उसके अधीन तो रहेंगे, ताकि वे मेरी और देश देश के राज्यों की भी सेवा जान लें।
तब मिस्र का राजा शीशक यरूशलेम पर चढ़ाई करके यहोवा के भवन की अनमोल वस्तुएं और राजभवन की अनमोल वस्तुएं उठा ले गया। वह सब कुछ उठा ले गया, और सोने की जो फरियां सुलैमान ने बनाई थीं, उनको भी वह ले गया।
तब राजा रहूबियाम ने उनके बदले पीतल की ढालें बनावाई और उन्हें पहरूओं के प्रधानों के हाथ सौंप दिया, जो राजभवन के द्वार की रखवाली करते थे।
और जब जब राजा यहोवा के भवन में जाता, तब तब पहरूए आकर उन्हें उठा ले चलते, और फिर पहरूओं की कोठरी में लौटाकर रख देते थे।
जब रहूबियाम दीन हुआ, तब यहोवा का क्रोध उस पर से उतर गया, और उस ने उसका पूरा विनाश न किया; और यहूदा में अच्छे गुण भी थे।
सो राजा रहूबियाम यरूशलेम में दृढ़ होकर राज्य करता रहा। जब रहूबियाम राज्य करने लगा, तब एकनालीस वर्ष की आयु का था, और यरूशलेम में अर्थात् उस नगर में, जिसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के लिये इस्राएल के सारे गोत्रा में से चुन लिया था, सत्राह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम नामा था, जो अम्मोनी स्त्री थी।
उस ने वह कर्म किया जो बुरा है, अर्थात् उस ने अपने मन को यहोवा की खोज में न लगाया।
आदि से अन्त तक रहूबियाम के काम क्या शमायाह नबी और इद्दॊ दश की पुस्तकों में वंशावलियों की रीति पर नहीं लिखे हैं? रहूबियाम और यारोबाम के बीच तो लड़ाई सदा होती रही।
और रहूबियाम अपने पुरखाओं के संग सो गया और दाऊदपुर में उसको मिट्टी दी गई। और उसका पुत्रा अबिरयाह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
13
यारोबाम के अठारहवें वर्ष में अबिरयाह यहूदा पर राज्य करने लगा।
वह तीन वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम मीकायाह था; जो गिबावासी ऊरीएल की बेटी थी। और अबिरयाह और यारोबाम के बीच में लड़ाई हई।
अबिरयाह ने तो बड़े योठ्ठाओं का दल, अर्थात् चार लाख छंटे हुए पुरूष लेकर लड़ने के लिये पांति बन्धाई, और यारोबाम ने आठ लाख छंटे हुए पुरूष जो एड़े शूरवीर थे, लेकर उसके विरूद्ध पांति बन्धाई।
तब अबिरयाह समारैम नाम पहाड़ पर, जो एप्रैम के पहाड़ी देश में है, खड़ा होकर कहने लगा, हे यारोबाम, हे सब इस्राएलियो, मेरी सुनो।
क्या तुम को न जानना चाहिए, कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने लोनवाली वाचा बान्धकर दाऊद को और उसके वंश को इस्राएल का राज्य सदा के लिये दे दिया है।
तौभी नबात का पुत्रा यारोबाम जो दाऊद के पुत्रा सुलैमान का कर्मचारी था, वह अपने स्वामी के विरूद्ध उठा है।
और उसके पास हलके और ओछे मनुष्य इकट्ठा हो गए हैं और जब सुलैमान का पुत्रा रहूबियाम लड़का और अल्हड़ मन का था और उनका साम्हना न कर सकता था, तब वे उसके विरूद्ध सामथ हो गए।
और अब तुम सोचते हो कि हम यहोवा के राज्य का साम्हना करेंगे, जो दाऊद की सन्तान के हाथ में है, क्योंकि तुम सब मिलकर बड़ा समाज बन गए हो और तुम्हारे पास वे सोने के बछड़े भी हैं जिन्हें यारोबाम ने तुम्हारे देवता होने के लिये बनवाया।
क्या तुम ने यहोवा के याजकों को, अर्थात् हारून की सन्तान और लेवियों को निकालकर देश देश के लोगों की नाई याजक नियुक्त नहीं कर लिए? जो कोई एक बछड़ा और सात मेढ़े अपना संस्कार कराने को ले आता, तो उनका याजक हो जाता है जो ईश्वर नहीं है।
परन्तु हम लोगों का परमेश्वर यहोवा है और हम ने उसको नहीं त्यागा, और हमारे पास यहोवा की सेवा टहल करनेवाले याजक हारून की सन्तान और अपने अपने काम में लगे हुए लेवीय हैं।
और वे नित्य सवेरे और सांझ को यहोवा के लिये होमबलि और सुगन्धद्ररय का धूप जलाते हैं, और शूठ्ठ मेज पर भेंट की रोटी सजाते और सोने की दीवट और उसके दीपक सांझ- सांझ को जलाते हैं; हम तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते रहते हैं, परन्तु तुम ने उसको त्याग दिया है।
और देखो, हमारे संग हमारा प्रधान परमेश्वर है, और उसके याजक तुम्हारे विरूद्ध सांस वान्धकर फूंकने को तुरहियां लिये हुए भी हमारे साथ हैं। हे इस्राएलियो अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा से मत लड़ो, क्योंकि तुम कृतार्थ न होगे।
परन्तु यारोबाम ने घातकों को उनके पीछे भेज दिया, वे तो यहूदा के साम्हने थे, और घातक उनके पीछे थे।
और जब यहूदियों ने पीछे को मुंह फेरा, तो देखा कि हमारे आगे और पीछे दोनों ओर से लड़ाई होनेवाली है; तब उन्हों ने यहोवा की दोहाई दी, और याजक तुरहियों को फूंकने लगे।
तब यहूदी पुरूषों ने जय जयकार किया, और जब यहूदी पुरूषों ने जय जयकार किया, तब परमेश्वर ने अबिरयाह और यहूदा के साम्हने, यारोबाम और सारे इस्राएलियों को मारा।
और इस्राएली यहूदा के साम्हने से भागे, और परमेश्वर ने उन्हें उनके हाथ में कर दिया।
और अबिरयाह और उसकी प्रजा ने उन्हें बड़ी मार से मारा, यहां तक कि इस्राएल में से पांच लाख छंटे हुए पुरूष मारे गए।
उस समय तो इस्राएली दब गए, और यहूदी इस कारण प्रबल हुए कि उन्हों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा पर भरोसा रखा था।
तब अबिरयाह ने यारोबाम का पीछा करके उस से बेतेल, यशाना और एप्रोन नगरों और उनके गांवों को ले लिया।
और अबिरयाह के जीवन भर यारोबाम फिर सामथ् न हुआ; निदान यहोवा ने उसको ऐसा मारा कि वह मर गया।
परन्तु अबिरयाह और भी सामथ हो गया और चौदह स्त्रियां ब्याह लीं जिन से बाइस बेटे और सोलह बेटियां उत्पन्न हुई।
और अबिरयाह के काम और उसकी चाल चलन, और उसके वचन, इद्दॊ नबी की कथा में लिखे हैं।
14
निदान अबिरयाह अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्रा आसा उसके स्थान पर राज्य करने लगा। इसके दिनों में दस वर्ष तक देश में चैन रहा।
और आसा ने वही किया जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में अच्छा और ठीक था।
उस ने तो पराई वेदियों को और ऊंचे स्थानों को दूर किया, और लाठों को तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतों को तोड़ डाला।
और यहूदियों को आज्ञा दी कि अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करें और रयवस्था और आज्ञा को मानों।
और उस ने ऊंचे स्थानों और सूर्य की प्रतिमाओं को यहूदा के सब नगरों में से दूर किया, और उसके साम्हने राज्य में चैन रहा।
और उस ने यहूदा में गढ़वाले नगर बसाए, क्योंकि देश में चैन रहा। और उन बरसों में उसे किसी से लड़ाई न करनी पड़ी क्योंकि यहोवा ने उसे विश्राम दिया था।
उस ने यहूदियों से कहा, आओ हम इन नगरों को बसाएं और उनके चारों ओर शहरपनाह, गढ़ और फाटकों के पल्ले और बेड़े बनाएं; देश अब तक हमारे साम्हने पड़ा है, क्योंकि हम ने, अपने परमेश्वर यहोवा की खोज की है हमने उसकी खोज की और उस ने हमको चारों ओर से विश्राम दिया है। तब उन्हों ने उन नगरों को बसाया और कृतार्थ हुए।
फिर आसा के पास ढाल और बछ रखनेवालों की एक सेना थी, अर्थात् यहूदा में से तो तीन लाख पुरूष और बिन्यामीन में से फरी रखनेवाले और धनुर्धारी दो लाख अस्सी हजार ये सब शूरवीर थे।
और उनके विरूद्ध दस लाख पुरूषों की सेना और तीन सौ रथ लिये हुए जेरह नाम एक कूशी निकला और मारेशा तक आ गया।
तब आसा उसका साम्हना करने को चला और मारेशा के निकट सापता नाम तराई में युठ्ठ की पांति बान्धी गई।
तब आसा ने अपने परमेश्वर यहोवा की यों दोहाई दी, कि हे यहोवा ! जैसे तू सामथ की सहायता कर सकता है, वैसे ही शक्तिहीन की भी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा ! हमारी सहायता कर, क्योंकि हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा करके हम इस भीड़ के विरूद्ध आए हैं। हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है; मनुष्य तुझ पर प्रबल न होने पाएगा।
तब यहोवा ने कूशियों को आसा और यहूदियों के साम्हने मारा और कूशी भाग गए।
और आसा और उसके संग के लोगों ने उनका पीछा गरार तक किया, और इतने कूशी मारे गए, कि वे फिर सिर न उठा सके क्योंकि वे यहोवा और उसकी सेना से हार गए, और यहूदी बहुत सा लूट ले गए।
और उन्हों ने गरार के आस पास के सब नगरों को मार लिया, क्योंकि यहोवा का भय उनके रहनेवालों के मन में समा गया और उन्हों ने उन नगरों को लूट लिया, क्योंकि उन में बहुत सा धन था।
फिर पशु- शालाओं को जीतकर बहुत सी भेड़- बकरियां और ऊंट लूटकर यरूशलेम को लौटे।
15
तब परमेश्वर का आत्मा ओदेद के पुत्रा अजर्याह में समा गया,
और वह आसा से भेंट करने निकला, और उस से कहा, हे आसा, और हे सारे यहूदा और बिन्यामीन मेरी सुनो, जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुम्हारे संग रहेगा; और यदि तुम उसकी खोज में लगे रहो, तब तो वह तुम से मिला करेगा, परन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह भी तुम को त्याग देगा।
बहुत दिन इस्राएल बिना सत्य परमेश्वर के और बिना सिखानेवाले याजक के और बिना ब्यवस्था के रहा।
परन्तु जब जब वे संकट में पड़कर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरे और उसको ढूंढ़ा, तब तब वह उनको मिला।
उस समय न तो जानेवाले को कुछ शांति होती थी, और न आनेवाले को, वरन सारे देश के सब निवासियों में बड़ा ही कोलाहल होता था।
और जाति से जाति और तगर से नगर चूर किए जाते थे, क्योंकि परमेश्वर नाना प्रकार का कष्ट देकर उन्हें घबरा देता था।
परन्तु तुम लोग हियाब बान्धोे और तुम्हारे हाथ ढीले न पड़ें, क्योंकि तुम्हारे काम का बदला मिलेगा।
जब आसा ने ये वचन और ओदेद नबी की नबूवत सुनी, तब उस ने हियाब बान्धकर यहूदा और बिन्यामीन के सारे देश में से, और उन नगरों में से भी जो उस ने एप्रैम के पहाड़ी देश में ले लिये थे, सब घिनौनी वस्तुएं दूर कीं, और यहोवा की जो वेदी यहोवा के ओसारे के साम्हने थी, उसको नये सिरे से बनाया।
और उस ने सारे यहूदा और बिन्यामीन को, और एप्रैम, मनश्शे और शिमोन में से जो लोग उसके संग रहते थे, उनको इकट्ठा किया, क्योंकि वे यह देखकर कि उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग रहता है, इस्राएल में से उसके पास बहुत से चले आए थे।
आसा के राज्य के पन्द्रहवें वर्ष के तीसरे महीने में वे यरूशलेम में इट्ठे हुए।
और उसी समय उन्हों ने उस लूट में से जो वे ले आए थे, सात सौ बैल और सात हजार भेड़- बकरियां, यहोवा को बलि करके चढ़ाई।
और उन्हों ने वाचा बान्धी कि हम अपने पूरे मन और सारे जीव से अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करेंगे।
और क्या बड़ा, क्या छोटा, क्या स्त्री, क्या पुरूष, जो कोई इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की खोज न करे, वह मार डाला जाएगा।
और उन्हों ने जय जयकार के साथ तुरहियां और नरसिंगे बजाते हुए ऊंचे शब्द से यहोवा की शपथ खाई।
और यह शपथ खाकर सब यहूदी आनन्दित हुए, क्योंकि उन्हों ने अपने सारे मन से शपथा खाई और बडी अभिलाषा से उसको ढूंढ़ा और वह उनको मिला, और यहोवा ने चारों ओर से उन्हें विश्राम दिया।
बरन आसा राजा की माता माका जिस ने अशेरा के पास रखने के लिए एक घिनौनी मूरत बनाई, उसको उस ने राजमाता के पद से उतार दिया, और आसा ने उसकी मूरत काटकर पीस डाली और किद्रोन नाले में फूंक दी।
ऊंचे स्थान तो इस्राएलियों में से न ढाए गए, तौभी आसा का मन जीवन भर तिष्कपट रहा।
और उस ने जो सोना चान्दी, और पात्रा उसके पिता ने अर्पण किए थे, और जो उस ने आप अर्पण किए थे, उनको परमेश्वर के भवन में पहंचा दिया।
और राजा आसा के राज्य के पैंतीसवें वर्ष तक फिर लड़ाई न हुई।
16
आसा के राज्य के छत्तीसवें वर्ष में इस्राएल के राजा बाशा ने यहूदा पर चढ़ाई की और रामा को इसलिये दृढ़ किया, कि यहूदा के राजा आसा के पास कोई आने जाने न पाए।
तब आस ने यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारों में से चान्दी- सोना निकाल दमिश्कवासी अराम के राजा बेन्हदद के पास दूत भेजकर यह कहा,
कि जैसे मेरे- तेरे पिता के बीच वैसे ही मेरे- तेरे बीच भी वाचा बन्धे; देख मैं तेरे पास चान्दी- सोना भेजता हूं, इसलिये आ, इस्राएल के राजा बाशा के साथ की अपनी वाचा को तोड़ दे, ताकि वह मुझ से दूर हो।
बेन्हदद ने राजा आसा की यह बात मानकर, अपने दलों के प्रधानों से इस्राएली नगरों पर चढ़ाई करवाकर इरयोन, दान, आबेल्मैम और नप्ताली के सब भणडारवाले नगरों को जीत लिया।
यह सुनकर बाशा ने रामा को दृढ़ करना छोड़ दिया, और अपना वह काम बन्द करा दिया।
तब राजा आसा ने पूरे यहूदा देश को साथ लिया और रामा के पत्थरों और लकड़ी को, जिन से बासा काम करता था, उठा ले गया, और उन से उस ने गेवा, और मिस्पा को दृढ़ किया।
उस समय हनानी दश यहूदा के राजा आसा के पास जाकर कहने लगा, तू ने जो अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नही रखा वरन अराम के राजा ही पर भरोसा रखा है, इस कारण अराम के राजा की सेना तेरे हाथ से बच गई है।
क्या कूशियों और लूबियों की सेना बड़ी न थी, और क्या उस में बहुत ही रथ, और सवार न थे? तौभी तू ने यहोवा पर भरोसा रखा था, इस कारण उस ने उनको तेरे हाथ में कर दिया।
देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कमट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए। तूने यह काम मूर्खता से किया है, इसलिये अब से तू लड़ाइयों मे फंसा रहेगा।
तब आसा दश पर क्रोधित हुआ और उसे काठ में ठोंकवा दिया, क्योंकि वहउसकी ऐसी बात के कारण उस पर क्रोधित था। और उसी समय से आसा प्रजा के कुछ लोगों को पीसने भी लगा।
आदि से लेकर अन्त तक आसा के काम यहूदा औ इस्राएल के राजाओं के वृत्तान्त में लिखे हैं।
अपने राज्य के उनतीसवें वर्ष में आसा को पांव का रोग हुआ, और वह रोग अत्यन्त बढ़ गया, तौभी उस ने रोगी होकर यहोवा की नहीं वैद्यों ही की शरण ली।
निदान आसा अपने राज्य के एकतालीसवें वर्ष में मरके अपने पुरखाओं के साथ सो गया।
तब उसको उसी की कब्र में जो उस ने दाऊदपुर में खुदवा ली थी, मिट्टी दी गई; और वह सुगन्धद्ररयों और गंधी के काम के भांति भांति के मसालों से भरे हुए एक बिछौने पर लिटा दिया गया, और बहुत सा सुगन्धद्ररय उसके लिये जलाया गया।
17
और उसका पुत्रा यहोशापात उसके स्थान पर राज्य करने लगा, और इस्राएल के विरूद्ध अपना बल बढ़ाया।
और उस ने यहूदा के सब गढ़वाले नगरों में सिपाहियों के दल ठहरा दिए, और यहूदा के देश में और एप्रैम के उन नगरों में भी जो उसके पिता आसा ने ले लिये थे, सिपाहियों की चौकियां बैठा दीं।
और यहोवा यहोशापात के संग रहा, क्योंकि वह अपने मूलपुरूष दाऊद की प्राचीन चाल सी चाल चला और बाल देवताओं की खोज में न लगा।
वरन वह अपने पिता के परमेश्वर की खोज में लगा रहता था और उसी की आज्ञाओं पर चलता था, और इस्राएल के से काम नहीं करता था।
इस कारए यहोवा ने रज्य को उसके हाथ में दृढ़ किया, और सारे यहूदी उसके पास भेंट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन और उसका विभव बढ़ गया।
और यहोवा के माग पर चलते चलते उसका मन मगन हो गया; फिर उस ने यहूदा से ऊंचे स्थान और अशेरा नाम मूरतें दूर कर दीं।
और उस ने अपने राज्य के तीसरे वर्ष में बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह नामक अपने हाकिमों को यहूदा के नगरों में शिक्षा देने को भेज दिया।
और उनके साथ शमायाह, नतन्याह, जबद्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिरयाह, तोबिरयाह और तोबदोनिरयाह, नाम लेवीय और उनके संग एलीशामा और यहोराम नामक याजक थे।
सो उन्हों ने यहोवा की रयवस्था की पुस्तक अपने साथ लिये हुए यहूदा में शिक्षा दी, वरन वे यहूदा के सब नगरों में प्रजा को सिखाते हुए घूमे।
और यहूदा के आस पास के देशों के राज्य राज्य में यहोवा का ऐसा डर समा गया, कि उन्हों ने यहोशापात से युठ्ठ न किया।
वरन किनते पलिश्ती यहोशपात के पास भेंट और कर समझकर चान्दी लाए; और अरबी लोग भी सात हजार सात सौ मेढ़े और सात हजार सात सौ बकरे ले आए।
और यहोशापात बहुत ही बढ़ता गया और उस ने यहूदा में किले और भण्डार के नगर तैयार किए।
और यहूदा के नगरों में उसका बहुत काम होता था, और यरूशलेम में उसके योठ्ठा अर्थात् शूरवीर रहते थे।
और इनके पितरों के घरानों के अनुसार इनकी यह गिनती थी, अर्थात् यहूदी सहस्रपति तो ये थे, प्रधान अदना जिसके साथ तीन लाख शूरवीर थे,
और उसके बाद प्रधान यहोहानान जिसके साथ दो लाख अस्सी हजार पुरूष थे।
और इसके बाद जिक्री का पुत्रा अमस्याह, जिस ने अपने को अपनी ही इच्छा से यहोवा को अर्पण किया था, उसके साथ दो लाख शूरवीर थे।
फिर बिन्यामीन में से एल्यादा नामक एक शूरवीर जिसके साथ ढाल रखनेवाले दो लाख धनुर्धारी थे।
और उसके नीचे यहोजाबाद जिसके साथ युठ्ठ के हथियार बान्धे हुए एक लाख अस्सी हजार पुरूष थे।
वे ये हैं, जो राजा की सेवा में लवलीन थे। और ये उन से अलग थे जिन्हें राजा ने सारे यहूदा के गढ़वाले नगरों में ठहरा दिया।
18
यहोशपात बड़ा धनवान और ऐश्वरर्यवान हो गया; और उस ने अहाब के साथ समधियाना किया।
कुछ वर्ष के बाद वह शोमरोन में अहाब के पास गया, तब अहाब ने उसके और उसके संगियों के लिये बहुत सी भेड़- बकरियां और गाय- बैल काटकर, उसे गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करने को उसकाया।
और इस्राएल के राजा अहाब ने यहूदा के राजा यहोशापात से कहा, क्या तू मेरे साथ गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करेगा? उस ने उसे उत्तर दिया, जैसा तू वैसा मैं भी हूँ, और जैसी तेरी प्रजा, वैसी मेरी भी प्रजा है। हम लोग युठ्ठ में तेरा साथ देंगे।
फिर यहोशापात ते इस्राएल के राजा से कहा, आज यहोवा की आज्ञा ले।
तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो चार सौ पुरूष थे, इकट्ठा करके उन से पूछा, क्या हम गिलाद के रामोत पर युठ्ठ करने को चढ़ाई करें, अथवा मैं रूका रहूं? उन्हों ने उत्तर दिया चढ़ाई कर, क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा।
परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहों यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें?
इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, एक पुरूष और है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं; परन्तु मैं उस से घृणा करता हूँ; क्योंकि वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्रा मीकायाह है। यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे।
तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवाकर कहा, यिम्ला के पुत्रा मीकायाह को फुत से ले आ।
इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात अपने अपने राजवस्त्रा पहिने हुए, अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे; वे शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में बैठे थे और सब नबी उनके साम्हने नबूवत कर रहे थे।
तब कनाना के पुत्रा सिदकिरयाह ने लोहे के सींग बनवाकर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा।
और सब नबियों ने इसी आशय की नबूवत करके कहा, कि गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ होवे; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ कर देगा।
और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था, उस ने उस से कहा, सुन, नबी लोग एक ही मुंह से राजा के विषय हाुभ वचन कहते हैं; सो तेरी बात उनकी सी हो, तू भी शुभ वचन कहना।
मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की सौंह, जो कुछ मेरा परमेश्वर कहे वही मैं भी कहूंगा।
जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह, क्या हम गिलाद के रामोत पर युठ्ठ करने को चढ़ाई करें अथवा मैं रूका रहूं? उस ने कहा, हां, तुम लोग चढ़ाई करो, और कृतार्थ होओ; और वे तुम्हारे हाथ में कर दिए जाएंगे।
राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझ से सच ही कह।
मीकायाह ने कहा, मुझे सारा इस्राएल बिना चरवाहे की भेंड़- बकरियों की नाई पहाड़ों पर तितर बितर दिखाई पड़ा, और यहोवा का वचन आया कि वे तो अनाथ हैं, इसलिये हर एक अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं।
तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं, हानि ही की नबूवत करेगा?
मीकायाह ने कहा, इस कारण तुम लोग यहोवा का यह वचन सुनो : मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाहिने बाएं खड़ी हुई स्वर्ग की सारी सेना दिखाई पड़ी।
तब यहोवा ने पूछा, इस्राएल के राजा अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खेत आए, तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा।
निदान एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊंगी।
यहोवा ने पूछा, किस उपाय से? उस ने कहा, मैं जाकर उसके सब नबियों में पैठ के उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।
इसलिये तुन अब यहोवा ने तेरे इन नबियों के मुंह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है।
तब कनाना के पुत्रा सिदकिरयाह ने निकट जा, मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मारकर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तुझ से बातें करने को किधर गया।
उस ने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब जान लेगा।
इस पर इस्राएल के राजा ने कहा, कि मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और राजकुमार योआश के पास लौटाकर,
उन से कहो, राजा यों कहता है, कि इसको बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो।
तब मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान, कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उस ने कहा, हे लोगो, तुम सब के सब सुनं लो।
तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनों ने गिलाद के रामोत पर चढ़ाई की।
और इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मैं तो भेष बदलकर युठ्ठ में जाऊंगा, परन्तु तू अपने ही वस्त्रा पहिने रह। इस्राएल के राजा ने भेष बदला और वे दोनों युठ्ठ में गए।
अराम के राजा ने तो अपने रथों के प्रधानों को आज्ञा दी थी, कि न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इस्राएल के राजा से लड़ो।
सो जब रथों के प्रधानों ने यहोशापात को देखा, तब कहा इस्राएल का राजा वही है, और वे उसी से लड़ने को मुड़े। इस पर यहोशापात चिल्ला उठा, तब यहोवा ने उसकी सहायता की। और परमेश्वर ने उनको उसके पास से फिर जाने की प्रेरणा की।
सो यह देखकर कि वह इस्राएल का राजा नही है, रथों के प्रधान उसका पीछा छोड़ के लौट गए।
तब किसी ने अटकल से एक तीर चलाया, और वह इस्राएल के राजा के झिलम और निचले वस्त्रा के बीच छेदकर लगा; तब उस ने अपने सारथी से कहा, मैं घायल हुआ, इसलिये लगाम फेरके मुझे सेना में से बाहर ले चल।
और उस दिन युठ्ठ बढ़ता गया और इस्राएल का राजा अपने रथ में अरामियों के सम्मुख सांझ तक खड़ा रहा, परन्तु सूर्य अस्त होते- होते वह मर गया।
19
और यहूदा का राजा यहोशापात यरूशलेम को अपने भवन में कुशल से लौट गया।
तब हनानी नाम दश का पुत्रा येहू यहोशापात राजा से भेंट करने को निकला और उस से कहने लगा, क्या दुष्टों की सहायता करनी और यहोवा के बैरियों से प्रेम रखना चाहिये? इस काम के कारण यहोवा की ओर से तुझ पर क्रोध भड़का है।
तौभी तुझ में कुछ अच्छी बातें पाई जाती हैं। तू ने तो देश में से अशेरों को नाश किया और उपने मन को परमेश्वर की खोज में लगाया है।
यहोशापात यरूशलेम में रहता था, और उस ने बेर्शेबा से लेकर बप्रैम के पहाड़ी देश तक अपनी प्रजा में फिर दौरा करके, उनको उनके पितरों के परमेश्वर यहोवा की ओर फेर दिया।
फिर उस ने यहूदा के एक एक गढ़वाले नगर में न्यायी ठहराया।
और उस ने न्यायियों से कहा, सोचो कि क्या करते हो, क्योंकि तुम जो न्याय करोगे, वह मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा के लिये करोगे; और वह न्याय करते समय तुम्हारे साथ रहेगा।
अब यहोवा का भय तुम में बना रहे; चौकसी से काम करना, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा में कुछ कुटिलता नहीं है, और न वह किसी का पक्ष करता और न घूस लेता है।
और यरूशलेम में भी यहोशापात ने लेवियों और याजकों और इस्राएल के पितरों के घरानों के कुछ मुख्य पुरूषों को यहोवा की ओर से न्याय करने और मुक मों को जांचने के लिये ठहराया।
और वे यरूशलेम को लौटे। और उस ने उनको आज्ञा दी, कि यहोवा का भय मानकर, सच्चाई और निष्कपट मन से ऐसा करना।
तुम्हारे भाई जो अपने अपने नगर में रहते हैं, उन में से जिसका कोई मुक मा तुम्हारे साम्हने आए, चाहे वह खून का हो, चाहे रयवस्था, अथवा किसी आज्ञा या विधि वा नियम के विषय हो, उनको चिता देना, कि यहोवा के विषय दोषी न होओ। बेसा न हो कि तुम पर और तुम्हारे भाइयों पर उसका क्रोध भड़के। ऐसा करो तो तुम दोषी न ठहरोगे।
और देखो, यहोवा के विष्य के सब मुक मों में तो अमर्याह महायाजक और राजा के विषय के सब मुक मों में यहूदा के घराने का प्रधान इश्माएल का पुत्रा जबद्याह तुम्हारे ऊपर अधिकारी है; और लेवीय तुम्हारे साम्हने सरदारों का काम करेंगे। इसलिये हियाब बान्धकर काम करो और भले मनुष्य के साथ यहोवा रहेगा।
20
इसके बाद मोआबियों और अम्मोनियों ने और उनके साथ कई मूनियों ने युठ्ठ करने के लिये यहोशापात पर चढ़ाई की।
तब लोगों ने आकर यहोशापात को बता दिया, कि ताल के पार से एदोम देश की ओर से एक बड़ी भीड़ तुझ पर चढ़ाई कर रही है; और देख, वह हसासोन्तामार तक जो एनगदी भी कहलाता है, पहुंच गई है।
तब यहोशपात डर गया और यहोवा की खोज में लग गया, और पूरे यहूदा में उपवास का प्रचार करवाया।
सो यहूदी यहोवा से सहायता मांगने के लिये इकट्ठे हुए, वरन वे यहूदा के सब नगरों से यहोवा से भेंट करते को आए।
तब यहोशपात यहोवा के भवन में नये आंगन के साम्हने यहूदियों और यरूशलेमियों की मण्डली में खड़ा होकर
यह कहने लगा, कि हे हमारे पितरों के परमेश्वर यहोवा ! क्या तू स्वर्ग में परमेश्वर नहीं है? और क्या तू जाति जाति के सब राज्यों के ऊपर प्रभुता नहीं करता? और क्या तेरे हाथ में ऐसा बल और पराक्रम नहीं है कि तेरा साम्हना कोई नहीं कर सकता?
हे हमारे परमेश्वर ! क्या तू ने इस देश के निवासियों को अपनी प्रजा इस्राएल के साम्हने से निकालकर इन्हें अपने मित्रा इब्राहीम के वंश को सदा के लिये नहीं दे दिया?
वे इस में बस गए और इस में तेरे नाम का एक पवित्रास्थान बनाकर कहा,
कि यदि तलवार या मरी अथवा अकाल वा और कोई विपत्ति हम पर पड़े, तौभी हम इसी भवन के साम्हने और तेरे साम्हने (तेरा नाम तो इस भवन में बसा है) खड़े होकर, अपने क्लेश के कारण तेरी दोहाई देंगे और तू सुनकर बचाएगा।
और अब अम्मोनी और मोआबी और सेईर के पहाड़ी देश के लोग जिन पर तू ने इस्राएल को मिस्र देश से आते समय चढ़ाई करने न दिया, और वे उनकी ओर से मुड़ गए और उनको विनाश न किया,
देख, वे ही लोग तेरे दिए हुए अधिकार के इस देश में से जिसका अधिकार तू ने हमें दिया है, हम को निकालकर कैसा बदला हमें दे रहे हैं।
हे हमारे परमेश्वर, क्या तू उनका न्याय न करेगा? यह जो बड़ी भीड़ हम पर चढ़ाई कर रही है, उसके साम्हने हमारा तो बस नहीं चलता और हमें हुछ सूझता नहीं कि क्या करना चाहिये? परन्तु हमारी आंखें तेरी ओर लगी हैं।
और सब यहूदी अपने अपने बालबच्चों, स्त्रीयों और पुत्रों समेत यहोवा के सम्मुख खड़े रहे।
तब आसाप के वंश में से यहजीएल नाम एक लेवीय जो जकर्याह का पुत्रा और बनायाह का पोता और मत्तन्याह के पुत्रा यीएल का परपोता था, उस में मण्डली के बीच यहोवा का आत्मा समाया।
और वह कहने लगा, हे सब यहूदियो, हे यरूशलेम के रहनेवालो, हे राजा यहोशापात, तुम सब ध्यान दो; यहोवा तुम से यों कहता है, तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युठ्ठ तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है।
कल उनका साम्हना करने को जाना। देखो वे सीस की चढ़ाई पर चढ़े आते हैं और यरूएल नाम जंगल के साम्हने नाले के सिरे पर तुम्हें मिलेंगे।
इस लड़ा़ई में तुम्हें लड़ना न होगा; हे यहूदा, और हे यरूशलेम, ठहरे रहना, और खड़े रहकर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो; कल उनका साम्हना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा।
तब यहोशापात भूमि की ओर मुंह करके भुका और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने यहोवा के साम्हने गिरके यहोवा को दण्डवत किया।
और कहातियों और कोरहियों में से कुछ लेवीय खड़े होकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की स्तुति अत्यन्त ऊंचे स्वर से करने लगे।
बिहान को वे सबेरे उठकर तकोआ के जंगल की ओर निकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े होकर कहा, हे यहूदियो, हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो, अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।
तब उस ने प्रजा के साथ सम्मति करके कितनों को ठहराया, जो कि पवित्राता से शोभायमान होकर हथियारबन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, कि यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करूणा सदा की है।
जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरूद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए।
क्योंकि अम्मोनियों और मोआबियों ने सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों को डराने और सत्यानाश करने के लिये उन पर चढ़ाई की, और जब वे सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों का अन्त कर चुके, तब उन सभों ने एक दूसरे के नाश करने में हाथ लगाया।
सो जब यहूदियों ने जंगल की चौकी पर पहुंचकर उस भीड़ की ओर दृष्टि की, तब क्या देख कि वे भूमि पर पड़ी हुई लोथ हैं; और कोई नहीं बचा।
तब यहोशापात और उसकी प्रजा लूट लेने को गए और लोथों के बीचा बहुत सी सम्मत्ति और मनभावने गहने मिले; उन्हों ने इतने गहने उतार लिये कि उनको न ले जा सके, वरन लूट इतनी मिली, कि बटोरते बटोरते तीन दिन बीत गए।
चौथे दिन वे बराका नाम तराई में इकट्ठे हुए और वहां यहोवा का धन्यवाद किया; इस कारण उस स्थान का नाम बराका की तीई पड़ा, जो आज तक है।
तब वे, अर्थात् यहूदा और यरूशलेम नगर के सब पुरूष और उनके आगे आगे यहोशापात, आनन्द के साथ यरूशलेम लौटे क्योंकि यहोवा ने उन्हें शत्रुओं पर आनन्दित किया था।
सो वे सारंगियां, वीणाएं और तुरहियां बजाते हुए यरूशलेम में यहोवा के भवन को आए।
और जब देश देश के सब राज्यों के लोगों ने सुना कि इस्राएल के शत्रुओं से यहोवा लड़ा, तब उनके मन में परमेश्वर का डर समा गया।
और यहोशापात के राज्य को चैन मिला, क्योंकि उसके परमेश्वर ने उसको चारों ओर से विश्राम दिया।
यों यहोशापात ने यहूदा पर राज्य किया। जब वह राज्य करने लगा तब वह पैंतीस वर्ष का था, और पच्चीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम अजूबा था, जो शिल्ही की बेटी थी।
और वह अपने पिता आसा की लीक पर चला ओर उस से न मुड़ा, अर्थात् जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही वह करता रहा।
तौभी ऊंचे स्थान ढाए न गए, वरन अब तक प्रजा के लोगों ने अपना मन अपने पितरों के परमेश्वर की ओर न लगाया था।
और आदि से अन्त तक यहोशापात के और काम, हनानी के पुत्रा येहू के विषय उस वृत्तान्त में लिखे हैं, जो इस्राएल के राजाओं के वृत्तान्त में पाया जाता हैं।
इसके बाद यहूद के राजा यहोशापात ने इस्राएल का राजा अहज्याह से जो बड़ी दुष्टता करता था, मेल किया।
अर्थात् उस ने उसके साथ इसलिये मेल किया कि तश श जाने को जहाज बनवाए, और उन्हों ने ऐसे जहाज एस्योनगेबेर में बनवाए।
तब दोदावाह के पुत्रा मारेशावासी एलीआजर ने यहोशापात के विरूद्ध यह नबूवत कही, कि तू ने जो अहज्याह से मेल किया, इस कारण यहोवा तेरी बनवाई हुई वस्तुओं को तोड़ डालेगा। सो जहरज टूट गए और तश श को न जा सके।
21
निदान यहोशापात अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसको उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्रा यहोराम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
इसके भाई जो यहोशापात के पुत्रा थे, ये थे, अर्थात् अजर्याह, यहीएल, जकर्याह, अजर्याह, मीकाएल और शपत्याह; ये सब इस्राएल के राजा यहोशापात के पुत्रा थे।
और उनके पिता ने उन्हे चान्दी सोना और अनमोल वस्तुएं और बड़े बड़े दान और यहूदा में गढ़वाले नगर दिए थे, परन्तु यहोराम को उस ने राज्य दे दिया, क्योंकि वह जेठा था।
जब यहोराम अपने पिता के राज्य पर नियुक्त हुआ और बलवन्त भी हो गया, तब उसने अपने सब भाइयों को और इस्राएल के कुछ हाकिमों को भी तलवार से घात किया।
जब यहोराम राजा हुआ, तब वह बत्तीस वर्ष का था, और वह आठ वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा।
वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, जैसे अहाब का घराना चलता था, क्योंकि उसकी पत्नी अहाब की बेटी थी। और वह उस काम को करता था, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है।
तौभी यहोवा ने दाऊद के घराने को नाश करना न चाहा, यह उस वाचा के कारण था, जो उसने दाऊद से बान्धी थी। और उस वचन के अनुसार था, जो उस ने उसको दिया था, कि में ऐसा करूंगा कि तेरा और तेरे वंश का दीपक कभी न बुझेगा।
उसके दिनों में एदोम ने यहूदा की अधीनता छोड़कर अपने ऊपर एक राजा बना लिया।
सो यहोराम अपने हाकिमों और अपने सब रथों को साथ लेकर उधर गया, और रथों के प्रधानों को मारा।
यों एदोम यहूदा के वश से छूट गया और आज तक वैसा ही है। उसी समय लिब्ना ने भी उसकी अधीनता छोड़ दी, यह इस कारण हुआ, कि उस ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया था।
और उस ने यहूदा के पहाड़ों पर ऊंचे स्थान बनाए और यरूशलेम के निवासियों से रयभिचार कराया, और यहूदा को बहका दिया।
तब एलिरयाह नबी का एक पत्रा उसके पास आया, कि तेरे मूलपुरूष दाऊद का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि तू जो न तो अपने पिता यहोशापात की लीक पर चला है और न यहूदा के राजा आसा की लीक पर,
वरन इस्राएल के राजाओं की लीक पर चला है, और अहाब के घराने की नाई यहूलियों और यरूशलेम के निवासियों से रयभिचार कराया है और अपने पिता के घराने में से अपने भाइयों को जो तुझ से अच्छे थे, घात किया है,
इस कारण यहोवा तेरी प्रजा, पुत्रों, स्त्रियों और सारी सम्मत्ति को बड़ी मार से मारेगा।
और तू अंतड़ियों के रोग से बहुत पीड़ित हो जाएगा, यहां तक कि उस रोग के कारण तेरी अंतड़ियां प्रतिदिन निकलती जाएंगी।
और यहोवा ने पलिश्तियों को और कूशियों के पास रहनेवाले अरबियों को, यहोराम के विरूद्ध उभारा।
और वे यहूदा पर चढ़ाई करके उस पर टूट पड़े, और राजभवन में जितनी सम्पत्ति मिली, उस सब को और राजा के पुत्रों और स्त्रियों को भी ले गए, यहां तक कि उसके लहुरे बेटे यहोआहाज को छोड़, उसके पास कोई भी पुत्रा न रहा।
इन सब के बाद यहोवा ने उसे अंतड़ियों के असाध्यरोग से पीड़ित कर दिया।
और कुछ समय के बाद अर्थात् दो वर्ष के अन्त में उस रोग के कारण उसकी अंतड़ियां निकल पड़ीं, ओर वह अत्यन्त पीड़ित होकर मर गया। और उसकी प्रजा ने जैसे उसके पुरखाओं के लिये सुगन्धद्ररय जलाया था, वैसा उसके लिये कुछ न जलाया।
वह जब रज्य करने लगा, तब बत्तीस वर्ष का था, और यरूशलेम में आठ वर्ष तक राज्य करता रहा; और सब को अप्रिय होकर जाता रहा। और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, परन्तु राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं।
22
तब यरूशलेम के निवासियों ने उसके लहुरे पुत्रा अहज्याह को उसके स्थान पर राजा बनाया; क्योंकि जो दल अरबियों के संग छावनी में आया था, उस ने उसके सब बड़े बड़े बेटों को घात किया था सो यहूदा के राजा यहोराम का पुत्रा अहज्याह राजा हुआ।
जब अहज्याह राजा हुआ, तब वह बयालीस वर्ष का था, और यरूशलेम में बक ही वर्ष राज्य किया, और उसकी माता का ताम अतल्याह था, जो ओम्री की पोती थी।
वह अहाब के घराने की सी चाल चला, क्योंकि उसकी माता उसे दुष्टता करने की सम्मति देती थी।
और वह अहाब के घराने की नाई वह काम करता था जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, क्योंकि उसके पिता की मृत्यु के बाद वे उसको ऐसी सम्मति देते थे, जिस से उसका विनाश हुआ।
और वह उनकी सम्मति के अनुसार चलता था, और इस्राएल के राजा अहाब के पुत्रा यहोराम के संग गिलाद के रामोत में अराम के राजा हजाएल से लड़ने को गया और अरामियों ने यहोराम को घायल किया।
सो राजा यहोराम इसलिये लौट गया कि यिज्रेल में उन घावों का इताज कराए जो उसको अरामियों के हाथ से उस समय लगे थे जब वह हजाएल के साथ लड़ रहा था। और अहाब का पुत्रा यहोराम जो यिज्रेल में रोगी था, इस कारण से यहूदा के राजा यहोराम का पुत्रा अहज्याह उसको देखने गया।
और अहज्याह का विनाश यहोवा की ओर से हुआ, क्योंकि वह यहोराम के पास गया था। और जब वह वहां पहुंचा, तब यहोराम के संग निमशी के पुत्रा येहू का साम्हना करने को निकल गया, जिसका अभिषेक यहोवा ने इसलिये कराया था कि वह अहाब के घराने को नाश करे।
और जब येहू अहाब के घराने को दणड दे रहा था, तब उसको यहूदा के हाकिम और अहज्याह के भतीजे जो अहज्याह के टहलुए थे, मिले, और उस ने उनको घात किया।
तब उस ने अहज्याह को ढूंढ़ा। वह शोमरोन में छिपा था, सो लोगों ने उसको पकड़ लिया और येहू के पास पहुंचाकर उसको मार डाला। तब यह कहकर उसको मिट्टी दी, कि यह यहोशपात का पोता है, जो अपने पूरे मन से यहोवा की खोज करता था। और अहज्याह के घराने में राज्य करने के योग्य कोई न रहा।
जब अहज्याह की माता अतल्याह ने देख कि मेरा पुत्रा मर गया, तब उस ने उठकर यहूदा के घराने के सारे राजवंश को नाश किया।
परन्तु यहोशवत जो राजा की बेटी थी, उस ने अहज्याह के पुत्रा योआश को घात होनेवाले राजकुमारों के बीच से चुराकर धाई समेत बिछौने रखने की कोठरी में छिपा दिया। इस प्रकार राजा यहोराम की बेटी यहोशवत जो यहोयादा याजक की स्त्री और अहज्याह की बहिन थी, उस ने योआश को अतल्याह से ऐसा छिपा रखा कि वह उसे मार डालने न पाई।
और वह उसके पास परमेश्वर के भवन में छे वर्ष छिपा रहा, इतने दिनों तक अतल्याह देश पर राज्य करती रही।
23
सातवें वर्ष में यहोयादा ने हियाब बान्धकर यरोहाम के पुत्रा अजर्याह, यहोहानान के पुत्रा इश्वाएल, ओबेद के पुत्रा अजर्याह, अदायाह के पुत्रा मासेयाह और जिक्री के पुत्रा बलीशपात, इन शतपतियों से वाचा बान्धी।
तब वे यहूदा में घूमकर यहूदा के सब नगरों में से लेवियों को और इस्राएल के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को इकट्ठा करके यरूशलेम को ले आए।
और उस सारी मएडली ने परमेश्वर के भवन में राजा के साथ वाचा बान्धी, और यहोयादा ने उन से कहा, सुनो, यह राजकुमार राज्य करेगा जैसे कि यहोवा ने दाऊद के वंश के विषय कहा है।
तो तुम एक काम करो, अर्थात् तुम याजकों और लेवियों की एक तिहाई लोग जो विश्रामदिन को आनेवाले हो, वे द्वारपाली करें,
और एक तिहाई लोग राजभवन में रहें और एक तिहाई लोग नेव के फाटक के पास रहें; और सब लोग यहोवा के भवन के आंगनों में रहें।
परन्तु याजकों और सेवा टहल करनेवाले लेवियों को छोड़ और कोई यहोवा के भवन के भीतर न आने पाए; वे तो भीतर आएं, क्योंकि वे पवित्रा हैं परन्तु सब लोग यहोवा के भवन की चौकसी करें।
और लेवीय लोग अपने अपने हाथ में हथियार लिये हुए राजा के चारों ओर रहें और जो कोई भवन के भीतर घुसे, वह मार डाला जाए। और तुम राजा के आते जाते उसके साथ रहना।
यहोयादा याजक की इन सब आज्ञाओं के अनुसार लेवियों और सब यहूदियों ने किया। उन्हों ने विश्रामदिन को आनेवाले और विश्रामदिन को जानेवाले दोनों दलों के, अपने अपने जनों को अपने साथ कर लिया, क्योंकि यहोयादा याजक ने किसी दल के लेवियों को विदा न किया थ।
तब यहोयादा याजक ने शतपतियों को राजा दाऊद के बर्छे और भाले और ढालें जो परमेश्वर के भवन में थीं, दे दीं।
फिर उस ने उन सब लोगों को अपने अपने हाथ में हथियार लिये हुए भवन के दक्खिनी कोने से लेकर, उत्तरी कोने तक वेदी और भवन के पास राजा के चारों ओर उसकी आड़ करके खड़ा कर दिया।
तब उन्हों ने राजकुमार को बाहर ला, उसके सिर पर मुकुट रखा और साक्षीपत्रा देकर उसे राजा बनाया; और यहोयादा और उसके पुत्रों ने उसका अभिषेक किया, और लोग बोल उठे, राजा जीवित रहे।
जब अतल्याह को उन लोगों का हल्ला, जो दौड़ते और राजा को सराहते थे सुन पड़ा, तब वह लोगों के पास यहोवा के भवन में गई।
और उस ने क्या देखा, कि राजा द्वार के निकट खम्भे के पास खड़ा है और राजा के पास प्रधान और तुरही बजानेवाले खड़े हैं, और सब लोग आनन्द कर रहे हैं और तुरहियां बजा रहे हैं और गाने बजानेवाले बाजे बजाते और स्तुति करते हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्रा फाड़कर पुकारने लगी, राजद्रोह, राजद्रोह !
तब यहोयादा याजक ने दल के अधिकारी शतपतियों को बाहर लाकर उन से कहा, कि उसे अपनी पांतियों के बीच से निकाल ले जाओ; और जो कोई उसके पीछे चले, वह तलवार से मार डाला जाए। याजक ने कहा, कि उसे यहोवा के भवन में न मार डालो।
तब उन्हों ने दोनों ओर से उसको जगह दी, और वह राजभवन के घोड़ाफाटक के द्वार तक गई, और वहां उन्हों ने उसको मार डाला।
तब यहोयादा ने अपने और सारी प्रजा के और राजा के बीच यहोवा की प्रजा होने की वाचा बन्धवाई।
तब सब लोगों ने बाल के भवन को जाकर ढा दिया; और उसकी वेदियों और मूरतों को टुकड़े टुकड़े किया, और मत्तान नाम बाल के याजक को वेदियों के साम्हने ही घात किया।
तब यहोयादा ने यहोवा के भवन की सेवा के लिये उन लेवीय याजकों को ठहरा दिया, जिन्हें दाऊद ने यहोवा के भवन पर दल दल करके इसलिये ठहराया था, कि जैसे मूसा की रयवस्था में लिखा है, वैसे ही वे यहोवा को होमबलि चढ़ाया करें, और दाऊद की चलाई हुई विधि के अनुसार आनन्द करें और गाएं।
और उस ने यहोवा के भवन के फाटकों पर द्वारपालों को इसलिये खड़ा किया, कि जो किसी रीति से अशुठ्ठ हो, वह भीतर जाने न पाए।
और वह शतपतियों और रईसों और प्रजा पर प्रभुता करनेवालों और देश के सब लोगों को साथ करके राजा को यहोवा के भवन से नीचे ले गया और ऊंचे फाटक से होकर राजभवन में आया, और राजा को राजगद्दी पर बैठाया।
तब सब लोग आनन्दित हुए और नगर में शान्ति हुई। अतल्याह तो तलवार से मार ही डाली गई थी।
24
जब योआश राजा हुआ, तब वह सात वर्ष का था, और यरूशलेम में चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा; उसकी माता का नाम सिब्या था, जो बेर्शेबा की थी।
और जब तक यहोयादा याजक जीवित रहा, तब तक योआश वह काम करता रहा जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है।
और यहसेयादा ने उसके दो ब्याह कराए और उस से बेटे- बेटियां उत्पन्न हुई।
इसके बाद योआश के मन में यहोवा के भवन की मरम्मत करने की मनसा उपजी।
तब उस ने याजकों और लेवियों को इकट्ठा करके कहा, प्रति वर्ष यहूदा के नगरों में जा जाकर सब इस्राएलियों से रूपये लिया करो जिस से तुम्हारे परमेश्वर के भवन की मरम्मत हो; देखो इसकाम में फुत करो। तौभी लेवियों ने कुछ फुत न की।
तब राजा ने यहोयादा महायाजक को बुलवा कर पूछा, क्या कारण है कि तू ने लेवियों को दृढ़ आज्ञा नहीं दी कि वे यहूदा और यरूशलेम से उस चन्दे के रूपए ले आएं जिसका नियम यहोवा के दास मूसा और इस्राएल की मण्डली ने साक्षीपत्रा के तम्बू के निमित्त चलाया था।
उस दुष्ट स्त्री अतल्याह के बेटों ने तो परमेश्वर के भवन को तोड़ दिया और यहोवा के भवन की सब पवित्रा की हुई वस्तुएं बाल देवताओं को दे दी थीं।
और राजा ने एक सन्दूक बनाने की आज्ञा दी और वह यहोवा के भवन के फाटक के पास बाहर रखा गया।
तब यहूदा और यरूशलेम में यह प्रचार किया गया कि जिस चन्दे का नियम परमेश्वर के दास मूसा ने जंगल में इस्राएल में चलाया था, उसके रूपए यहोवा के निमित्त ले आओ।
तो सब हाकिम और प्रजा के सब लोग आनन्दित हो रूपए लाकर जब तक चन्दा पूरा न हुआ तब तक सन्दूक में डालते गए।
और जब जब वह सन्दूक लेवियों के हाथ से राजा के प्रधानों के पास पहुंचाया जाता और यह जान पड़ता था कि उस में रूपए बहुत हैं, तब तब राजा के प्रधान और महायाजक का नाइब आकर सन्दूक को खाली करते और तब उसे फिर उसके स्थान पर रख देते थे। उन्हों ने प्रतिदिन ऐसा किया और बहुत रूपए इट्ठा किए।
तब राजा और यहोयादा ने वह रूपए यहोवा के भवन में काम करनेवालों को दे दिए, और उन्हों ने राजों और बढ़इयों को यहोवा के भवन के सुधारने के लिये, और लोहारों और ठठेरों को यहोवा के भवन की मरम्मत करने के लिये मजदूरी पर रखा।
और कारीगर काम करते गए और काम पूरा होता गया और उन्हों ने परमेश्वर का भवन जैसा का तैसा बनाकर दृढ़ कर दिया।
जब उन्हों ने वह काम निपटा दिया, तब वे शेष रूपए राजा और यहोयादा के पास ले गए, और उन से यहोवा के भवन के लिये पात्रा बनाए गए, अर्थात् सेवा टहल करने और होमबलि चढ़ाने के पात्रा और धूपदान आदि सोने चान्दी के पात्रा। और जब तक यहोयादा जीवित रहा, तब तक यहोवा के भवन में होमबलि नित्य चढ़ाए जाते थे।
परन्तु यहोयादा बूढ़ा हो गया और दीर्घायु होकर मर गया। जब वह मर गया तब एक सौ तीस वर्ष का था।
और दाऊदपुर में राजाओं के बीच उसको मिट्टी दी गई, क्योंकि उस ने इस्राएल में और परमेश्वर के और उसके भवन के विषय में भला किया था।
यहोयादा के मरने के बाद यहूदा के हाकिमों ने राजा के पास जाकर उसे दणडवत की, और राजा ने उनकी मानी।
तब वे अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा का भवन छोड़कर अशेरों और मूरतों की उपासना करने लगे। सो उनके ऐसे दोषी होने के कारण परमेश्वर का क्रोध यहूदा और यरूशलेम पर भड़का।
तौभी उस ने उनके पास नबी भेजे कि उनको यहोवा के पास फेर लाएं; और इन्हों ने उन्हें चिता दिया, परन्तु उन्हों ने कान न लगाया।
और परमेश्वर का आत्मा यहोयादा याजक के पुत्रा जकर्याह में समा गया, और वह ऊंचे स्थन पर खड़ा होकर लोगों से कहने लगा, परमेश्वर यों कहता है, कि तुम यहोवा की आज्ञाओं को क्यों टालते हो? ऐसा करके तुम भाग्यवान नहीं हो सकते, देखो, तुम ने तो यहोवा को त्याग दिया है, इस कारण उस ने भी तुम को त्याग दिया।
तब लोगों ने उस से द्रोह की गोष्ठी करके, राजा की आज्ञा से यहोवा के भवन के आंगन में उसको पत्थरवाह किया।
यों राजा योआश ने वह प्रीति भूलकर जो यहोयादा ने उस से की थी, उसके पुत्रा को घात किया। और मरते समय उस ने कहा यहोवा इस पर दृष्टि करके इसका लेखा ले।
तये वर्ष के लगते अरामियों की सेना ने उस पर चढ़ाई की, और यहूदा ओर यरूशलेम आकर प्रजा में से सब हाकिमों को नाश किया और उनका सब धन लूटकर दमिश्क के राजा के पास भेजा।
अरामियों की सेना थेड़े ही पुरूषों की तो आई, पन्तु यहोवा ने एक बहुत बड़ी सेना उनके हाथ कर दी, क्योंकि उन्हों ने अपने पितरो के परमेश्वा को त्याग दिया थ। और योआश को भी उन्हों ने दणड दिया।
और जब वे उसे बहुत ही रोगी छोड़ गए, तब उसके कर्मचारियों ने यहोयादा याजक के पुत्रों के खून के कारण उस से द्रोह की गोष्ठी करके, उसे उसके बिछौने पर ही ऐसा मारा, कि वह मर गया; और उन्हों ने उसको दाऊद पुर में मिट्टी दी, परन्तु राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं।
जिन्हों ने उस से राजद्रोह की गोष्ठी की, वे ये थे, अर्थात् अम्मोनिन, शिमात का पुत्रा जाबाद और शिम्रित, मोआबिन का पुत्रा यहोजाबाद।
उसके बेटों के विषय और उसके विरूद्ध, जो बड़े दणड की तबूवत हुई, उसके और परमेश्वर के भवन के बनने के विषय ये सब बातें राजाओं के वृत्तान्त की पुस्तक में लिखी हैं। और उसका पुत्रा अमस्याह उसके स्थान पर राजा हुआ।
25
जब अमस्याह राज्य करने लगा तब वह वचीस वर्ष का था, और यरूशलेम में उनतीस वर्ष तक राज्य करता रहा; और उसकी माता का नाम यहोअस्रान था, जो यरूशलेम की थी।
उस ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, परन्तु खरे मन से न किया।
जब राज्य उसके हाथ में स्थिर हो गया, तब उस ने अपने उन कर्मचारियों को मार डाला जिन्हों ने उसके पिता राजा को मार डाला था।
परन्तु उस ने उनके लड़केवालों को न मारा क्योंकि उस ने यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार किया, जो मूसा की रयवस्था की पुस्तक में लिखी है, कि पुत्रा के कारण पिता न मार डाला जाए, और न पिता के कारण पुत्रा मार डाला जाए, जिस ने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए।
और अमस्याह ने यहूदा को वरन सारे यहूदियों और बिन्यामीनियों को इकट्ठा करके उनको, पितरों के घरानों के अनुसार सहस्रपतियों और शतपतियों के अधिकार में ठहराया; और उन में से जितनों की अवस्था बीस वर्ष की अथवा उस से अधिक थी, उनकी गिनती करके तीन लाख भाला चलानेवाले और ढाल उठानेवाले बड़े बड़े योठ्ठा पाए।
फिर उस ने एक लाख इस्राएली शूरवीरों को भी एक सौ किक्कार चान्दी देकर बुलवा रखा।
परन्तु परमेश्वर के एक जन ने उसके पास आकर कहा, हे राजा इस्राएल की सेना तेरे साथ जाने न पाए; क्योंकि यहोवा इस्राएल अर्थात् एप्रैम की कुल सन्तान के संग नहीं रहता।
यदि तू जाकर पुरूषार्थ करे; और युठ्ठ के लिये हियाव वान्धे, तौभी परमेश्वर तुझे शत्रुओं के साम्हने गिराएगा, क्योंकि सहायता करने और गिरा देने दोनों में परमेश्वर सामथ है।
अमस्याह ने परमेश्वर के भक्त से पूछा, फिर जो सौ किक्कार चान्दी मैं इस्राएली दल को दे चुका हूँ, उसके विषय क्या करूं? परमेश्वर के भक्त ने उत्तर दिया, यहोवा तुझे इस से भी बहुत अधिक दे सकता है।
तब अमस्याह ने उन्हें अर्थात् उस दल को जो एप्रैम की ओर से उसके पास आया था, अलग कर दिया, कि वे अपने स्थान को लौट जाएं। तब उनका क्रोध यहूदियो पर बहुत भड़क उठा, और वे अत्यन्त क्रोधित होकर अपने स्थान को लौट गए।
परन्तु अमस्याह हियाब बान्धकर अपने लोगों को ले चला, और लोन की तराई में जाकर, दस हजार सेईरियों को मार डाला।
और यहूलियों ने दस हजार को बन्धुआ करके चट्टान की चोटी पर ले गये, और चट्टान की चोटी पर से गिरा दिया, सो वे सब चूर चूर हो गए।
परन्तु उस दल के पुरूष जिसे अमस्याह ने लौटा दिया कि वे उसके साथ युठ्ठ करने को न जाएं, शेमरोन से बेथेरोन तक यहूदा के सब नगरों पर टूट पड़े, और उनके तीन हजार निवासी मार डाले और बहुत लूट ले ली।
जब अमस्याह एदोनियों का संहार करके लौट आया, तब उस ने सेईरियों के देवताओं को ले आकर अपने देवता करके खड़ा किया, और उन्हीं के साम्हने दणडवत करने, और उन्हीं के लिये धूप जलाने लगा।
तब यहोवा का क्रोध अमस्याह पर भड़क उठा और उस ने उसके पास एक नबी भेजा जिस ने उस से कहा, जो देवता अपने लोगों को तेरे हाथ से बचा न सके, उनकी खोज में तू क्यों लगा है?
वह उस से कह ही रहा था कि उस ने उस से पूछा, क्या हम ने तुझे राजमन्त्री ठहरा दिया है? चुप रह ! क्या तू मार खाना चाहता है? तब वह नबी यह कहकर चुप हो गया, कि मुझे मालूम है कि परमेश्वर ने तुझे नाश करने को ठाना है, क्योंकि तू ने ऐसा किया है और मेरी सम्मति नहीं मानी।
तब यहूदा के राजा अमस्याह ने सम्मति लेकर, इस्राएल के राजा योआश के पास, जो येहू का पोता और यहोआहाज का पुत्रा था, यों कहला भेजा, कि आ हम एक दूसरे का साम्हना करें।
इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह के पास यों कहला भेजा, कि लबानोन पर की एक झड़बेरी ने लबानोन के एक देवदार के पास कहला भेजा, कि अपनी बेटी मेरे बेटे को ब्याह दे; इतने में लबानोन का कोई वन पशु पास से चला गया और उस झड़बेरी को दौंद डाला।
तू कहता है, कि मैं ने एदोमियों को जीत लिया है; इस कारण तू फूल उठा और बड़ाई मारता है ! अपने घर में रह जा; तू अपनी हानि के लिये यहां क्यों हाथ डालता है, इस से तू क्या, वरन यहूदा भी नीचा खाएगा।
परन्तु अमस्याह ने न माना। यह तो परमेश्वर की ओर से हुआ, कि वह उन्हें उनके शत्रुओं के हाथ कर दे, क्योंकि वे एदोम के देवताओं की खोज में लग गए थे।
तब इस्राएल के राजा योआश ने चढ़ाई की और उस ने और यहूदा के राजा अमस्याह ने यहूदा देश के बेतशेमेश में एक दूसरे का साम्हना किया।
और यहूदा इस्राएल से हार गया, और हर एक अपने अपने डेरे को भागा।
तब इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह को, जो यहोआहाज का पोता और योआश का पुत्रा था, बेतशेमेश में पकड़ा और यरूशलेम को ले गया और यरूशलेम की शहरपनाह में से बप्रैमी फाटक से कोनेवाले फाटक तक चार सौ हाथ गिरा दिए।
और जितना सोना चान्दी और जितने पात्रा परमेश्वर के भवन में ओबेदेदोम के पास मिले, और राजभवन मे जितना खजाना था, उस सब को और बन्धक लोगों को भी लेकर वह शोमरोन को लोट गया।
यहोआहाज के पुत्रा इस्राएल के राजा योआश के मरने के बाद योआश का पुत्रा यहूदा का राजा अमस्याह पन्द्रह वर्ष तक जीवित रहा।
आदि से अन्त तक अमस्याह के और काम, क्या यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?
जिस समय अपस्याह यहोवा के पीछे चलना छोड़कर फिर गया था उस समय से यरूशलेम में उसके विरूद्ध द्रोह की गोष्ठी होने लगी, और वह लाकीश को भाग गया। सो दूतों ने लाकीश तक उसका पीछा कर के, उसको वहीं मार डाला।
तब वह घोड़ों पर रखकर पहुंचाया गया और उसे उसके पुरखाओं के बीच यहूदा के नगर में मिट्टी दी गई।
26
तब सब यहूदी प्रजा ने उज्जिरयाह को लेकर जो सोलह वर्ष का था, उसके पिता अमस्याह के स्थान पर राजा बनाया।
जब राजा अमस्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया तब उज्जिरयाह ने एलोत नगर को दृढ़ कर के यहूदा में फिर मिला लिया।
जब उज्जिरयाह राज्य करने लगा, तब वह सोलह वर्ष का था। और यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता का नाम यकील्याह था, जो यरूशलेम की थी।
जैसे उसका पिता अमस्याह, किया करता था वैसा ही उसने भी किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था।
और जकर्याह के दिनों में जो परमेश्वर के दर्शन के विषय समझ रखता था, वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था; और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर उसको भाग्यवान किए रहा।
तब उस ने जाकर पलिश्तियों से युठ्ठ किया, और गत, यब्ने और अशदोद की शहरपनाहें गिरा दीं, और अशदोद के आसपास और पलिश्तियों के बीच में नगर बसाए।
और परमेश्वर ने पलिश्तियों और गूर्बालवासी, अरबियों और मूनियों के विरूद्ध उसकी सहायता की।
और अम्मोनी उज्जिरयाह को भेंट देने लगे, वरन उसकी कीर्त्ति मिस्र के सिवाने तक भी फैल गई, क्योंकि वह अत्यन्त सामथ हो गया था।
फिर उज्जिरयाह ने यरूशलेम में कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुम्मट बनवाकर दृढ़ किए।
और उसके बहुत जानवर थे इसलिये उस ने जंगल में और नीचे के देश और चौरस देश में गुम्मट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़ों पर और कर्म्मेल में उसके किसान और दाख की बारियों के माली थे, क्योंकि वह खेती किसानी करनेवाला था।
फिर उज्जिरयाह के योठ्ठाओं की एक सेना थी जिनकी गिनती यीएल मुंशी और मासेयाह सरदार, हनन्याह नामक राजा के एक हाकिम की आज्ञा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बान्धकर लड़ने को जाती थी।
पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूष जो शूरवीर थे, उनकी पूरी गिनती दो हजार छे सौ थी।
और उनके अधिकार में तीन लाख साढ़े सात हजार की एक बड़ी बड़ी सेना थी, जो शत्रुओं के विरूद्ध राजा की सहायता करने को बड़े बल से युठ्ठ करनेवाले थे।
इनके लिये अर्थात् पूरी सेना के लिये उज्जिरयाह ने ढालें, भाले, टोप, झिलम, धनुष और गोफन के पत्थर तैयार किए।
फिर उस ने यरूशलेम में गुम्मटों और कंगूरों पर रखने को चतुर पुरूषों के निकाले हुए यन्त्रा भी बनवाए जिनके द्वारा तीर और बड़े बड़े पत्थर फेंके जाते थे। और उसकी कीर्त्ति दूर दूर तक फैल गई, क्योंकि उसे अदभुत यहायता यहां तक मिली कि वह सामथ हो गया।
परन्तु जब वह सामथ हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बिगड़कर अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वासघात किया, अर्थात् वह धूप की वेदी पर धूम जलाने को यहोवा के मन्दिर में घुस गया।
और अजर्याह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अस्सी याजक भी जो वीर थे गए।
और उन्हों ने उज्जिरयाह राजा का साम्हना करके उस से कहा, हे उज्जिरयाह यहोवा के लिये धूप जलाना तेरा काम नहीं, हारून की सन्तान अर्थात् उन याजकों ही का काम है, जो धूप जलाने को पवित्रा किए गए हैं। तू पवित्रास्थान से निकल जा; तू ने विश्वासघात किया है, यहोवा परमेश्वर की ओर से यह तेरी महिमा का कारण न होगा।
तब उज्जिरयाह धूप जलाने को धूपदान हाथ में लिये हुए झुंझला उठा। और वह याजकों पर झुंझला रहा था, कि याजकों के देखते देखते यहोवा के भवन में धूप की वेदी के पास ही उसके माथे पर कोढ़ प्रगट हुआ।
और अजर्याह महायाजक और सब याजकों ने उस पर दृष्टि की, और क्या देखा कि उसके माथे पर कोढ़ निकला है ! तब उत्हों ने उसको वहां से झटपट निकाल दिया, वरन यह जानकर कि यहोवा ने मुझे कोढ़ी कर दिया है, उस ने आप बाहर जाने को उतावली की।
और उज्जिरयाह राजा मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर में रहता था, वह तो यहोवा के भवन में जाने न पाता था। और उसका पुत्रा योताम राजघराने के काम पर नियुक्त किया गया और वह लोगों का न्याय भी करता था।
आदि से अन्त तक उज्जिरयाह के और कामों का वर्णन तो आमोस के पुत्रा यशायाह नबी ने लिखा है।
निदान उज्जिरयाह अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसको उसके पुरखाओं के निकट राजाओं के मिट्टी देने के खेत में मिट्टी दी गई क्योंकि उन्हों ने कहा, कि वह कोढ़ी है। और उसका पुत्रा योताम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
27
जब योताम राज्य करने लगा तब वह पचीस वर्ष का था, और यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम यरूशा था, जो सादोक की बेठी थी।
उस ने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, अर्थात् जैसा उसके पिता उज्जिरयाह ने किया था, ठीक वैसा ही उस ने भी किया : तौभी वह यहोवा के मन्दिर में न घुसा। और प्रजा के लोग तब भी बिगड़ी चाल चलते थे।
उसी ने यहोवा के भवन के ऊपरवाले फाटक को बनाया, और ओपेल की शहरपनाह पर बहुत कुछ बनवाया।
फिर उस ने यहूदा के पहाड़ी देश में कई नगर दृढ़ किए, और जंगलों में गढ़ और गुम्मट बनाए।
और वह अम्मोनियों के राजा से युठ्ठ करके उन पर प्रबल हो गया। उसी वर्ष अम्मोनियों ने उसको सौ किक्कार चांदी, और दस दस हजार कोर गेहूं और जव दिया। और फिर दूसरे और तीसरे वर्ष में भी उन्हों ने उसे उतना ही दिया।
यों योताम सामथ हो गया, क्योंकि वह अपने आप को अपने परमेश्वर यहोवा के सम्मुख जानकर सीधी चाल चलता था।
योताम के और काम और उसके सब युठ्ठ और उसकी चाल चलन, इन सब बातों का वर्णन इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास में लिखा है।
जब वह राजा हुआ, तब पचीस वर्ष का था; और वह यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा।
निदान योताम अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसे दाऊदपुर में मिट्टी दी गई। और उसका पुत्रा आहाज उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
28
जब आहाज राज्य करने लगा तब वह बीस वर्ष का था, और सोलह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और अपने मूलपुरूष दाऊद के समान काम नहीं किया, जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था,
परन्तु वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, और बाल देवताओं की मूर्तियां ढलवाकर बनाई;
और हिन्नोम के बेटे की तराई में धूूप जलाया, और उन जातियों के घिनौने कामों के अनुसार जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से देश से निकाल दिया था, अपने लड़केबालों को आग में होम कर दिया।
और ऊंचे स्थानों पर, और पहाड़ियों पर, और सब हरे वृक्षों के तले वह बलि चढ़ाया और धूम जलाया करता था।
इसलिये उसके परमेश्वर यहोवा ने उसको अरामियों के राजा के हाथ कर दिया, और वे उसको जीतकर, उसके बहुत से लोगों को बन्धुआ बनाके दमिश्क को ले गए। और वह इस्राएल के राजा के वश में कर दिया गया, जिस ने उसे बड़ी मार से मारा।
और रमल्याह के पुत्रा पेकह ने, यहूदा में एक ही दिन में एक लाख बीस हजार लोगों को जो सब के सब वीर थे, घात किया, क्योंकि उन्हों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया था।
और जिक्री नामक एक एप्रैमी वीर ने मासेयाह नामक एक राजपुत्रा को, और राजभवन के प्रधान अज्रीकाम को, और एलकाना को, जो राजा का मंत्री था, मार डाला।
और इस्राएली अपने भाइयों में से त्रियों, बेटों और बेटियों को मिलाकर दो लाख लोगों को बन्धुआ बनाके, और उनकी बहुत लूट भी छीनकर शोमरोन की ओर ले चले।
परन्तु वहां ओदेद नामक यहोवा का एक नबी था; वह शोमरोन को आनेवाली सेना से मिलकर उन से कहने लगा, सुनो, तुम्हारे पितरों के परमेश्वर यहोवा ने यहूदियों पर झुंझलाकर उनको तुम्हारे हाथ कर दिया है, और तुम ने उनको ऐसा क्रोध करके घात किया जिसकी चिल्लाहट स्वर्ग को पहुंच गई है।
और अब तुम ने ठाना है कि यहूदियों और यरूशलेमियों को अपने दास- दासी बनाकर दबाए रखो। क्या तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा के यहां दाषी नहीं हो?
इसलिये अब मेरी सुनो और इन बन्धुओं को जिन्हें तुम अपने भाइयों में से बन्धुआ बनाके ले आए हो, लौटा दो, यहोवा का क्रोध तो तुम पर भड़का है।
तब एप्रैमियों के कितने मुख्य पुरूष अर्थात् योहानान का पुत्रा अजर्याह, मशिल्लेमोत का पुत्रा बेरेक्याह, शल्लूम का पुत्रा यहिजकिरयाह, और हदलै का पुत्रा अमासा, लड़ाई से आनेवालों का साम्हना करके, उन से कहने लगे।
तुम इन बन्धुओं को यहां मत लाओ; क्योंकि तुम ने वह बात ठानी है जिसके कारण हम यहोवा के यहां दोषी हो जाएंगे, और उस से हमारा पाप और दोष बढ़ जाएगा, हमारा दोष तो बड़ा है और इस्राएल पर बहुत क्रोध भड़का है।
तब उन हथियार बन्धों ने बन्धुओं और लूट को हाकिमों और सारी सभा के साम्हने छोड़ दिया।
तब जिन पुरूषों के नाम ऊपर लिखे हैं, उन्हों ने उठकर बन्धुओं को ले लिया, और लूट में से सब नंगे लोगों को कपड़े, और जूतियां पहिनाई; और खाना खिलाया, और पानी पिलाया, और तेल मला; और तब निर्बल लोगों को गदहों पर चढ़ाकर, यरीहो को जो खजूर का नगर कहलाता है, उनके भाइयों के पास पहुंचा दिया। तब वे शोमरोन को लौट आए।
उस समय राजा आहाज ने अश्शूर के राजाओं के पास दूत भेजकर सहायता मांगी।
क्योंकि एदोमियों ने यहूदा में आकर उसको मारा, और बन्धुओं को ले गए थे।
और पलिश्तयों ने नीचे के देश और यहूदा के दक्खिन देश के नगरों पर चढ़ाई करके, बेतशेमेश, अरयालोन और गदेरोत को, और अपने अपने गांवों समेत सोको, तिम्ना, और गिमजो को ले लिया; और उन में रहने लगे थे।
यों यहोवा ने इस्राएल के राजा आहाज के कारण यहूदा को दबा दिया, क्योंकि वह निरंकुश होकर चला, और यहोवा से बड़ा विश्वासघात किया।
तब अश्शूर का राजा तिलगतपिलनेसेर उसके विरूद्ध आया, और उसको कष्ट दिया; दृढ़ नहीं किया।
आहाज ने तो यहोवा के भवन और राजभवन और हाकिमों के घरों में से धन निकालकर अश्शूर के राजा को दिया, परन्तु इससे उसकी कुछ सहायता न हुई।
और क्लेश के समय राजा आहाज ने यहोवा से और भी विश्वासघात किया।
और उस ने दमिश्क के देवताओं के लिये जिन्हों ने उसको मारा था, बलि चढ़ाया; क्योंकि उस ने यह सोचा, कि आरामी राजाओं के देवताओं ने उनकी यहायता की, तो मैं उनके लिये बलि चढ़ाऊंगा कि वे मेरी सहायता करें। परन्तु वे उसके और सारे इस्राएल के पतन का कारण हुए।
फिर आहाज ने परमेश्वर के भवन के पात्रा बटोरकर तुड़वा डाले, और यहोवा के भवन के द्वारों को बन्द कर दिया; और यरूशलेम के सब कोनों में वेदियां बनाई।
और यहूदा के एक एक नगर में उस ने पराये देवताओं को धूप जलाने के लिये ऊंचे स्थान बनाए, और अपने मितरों के परमेश्वर यहोवा को रिस दिलाई।
और उसके और कामों, और आदि से अन्त तक उसकी पूरी चाल चलन का वर्णन यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है।
निदान आहाज अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको यरूशलेम नगर में मिट्टी दी गई, परन्तु वह इस्राएल के राजाओं के कब्रिस्तान में पहुंचाया न गया। और उसका पुत्रा हिजकिरयाह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
29
जब हिजकिरयाह राज्य करने लगा तब वह पचीस वर्ष का था, और उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का ताम अबिरयाह था, जो जकर्याह की बेटी थी।
जैसे उसके मूलपुरूष दाऊद ने किया था अर्थात् जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था वैसा ही उस ने भी किया।
अपने राज्य के पहिले वर्ष के पहिले महीने में उस ने यहोवा के भवन के द्वार खुलवा दिए, और उनकी मरम्मत भी कराई।
तब उस ने याजकों और लेवियों को ले आकर पूर्व के चौक में इकट्ठा किया।
और उन से कहने लगा, हे लेवियो मेरी सुनो ! अब अपने अपने को पवित्रा करो, और अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा के भवन को पवित्रा करो, और पवित्रास्थान में से मैल निकालो।
देखो हमारे पुरखाओं ने विश्वासघात करके वह कर्म किया था, जो हमारे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा है और उसको तज करके यहोवा के निवास से मुंह फेरकर उसको पीठ दिखाई थी।
फिर उन्हों ने ओसारे के द्वार बन्द किए, और दीपकों को बुझा दिया था; और पवित्रा स्थान में इस्राएल के परमेश्वर के लिये न तो धूप जलाया और न होमबलि चढ़ाया था।
इसलिये यहोवा का क्रोध यहूदा और यरूशलेम पर भड़का है, और उस ने ऐसा किया, कि वे मारे मारे फिरें और चकित होने और ताली बजाने का कारण हो जाएं, जैसे कि तुम अपनी आंखों से देख रहे हो।
देखो, अस कारण हमारे बाप तलवार से मारे गए, और हमारे बेटे- बेटियां और स्त्रियां बन्धुआई में चली गई हैं।
अब मेरे मन ने यह निर्णय किया है कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से वाचा बान्धूं, इसलिये कि उसका भड़का हुआ क्रोध हम पर से दूर हो जाए।
हे मेरे बेटो, ढिलाई न करो देखो, यहोवा ने अपने सम्मुख खड़े रहने, और अपनी सेवा टहल करने, और अपने टहलुए और धूप जलानेवाले का काम करने के लिये तुम्हीं को चुन लिया है।
तब लेवीय उठ खड़े हुए, अर्थात् कहातियों में से अमासै का पुत्रा महत, और अजर्याह का पुत्रा योएल, और मरारियों में से अब्दी का पुत्रा कीश, और यहल्लेलेल का पुत्रा अजर्याह, और गेश नियों में से जिम्मा का पुत्रा योआह, और योआह का पुत्रा एदेन।
और एलीसापान की सन्तान में से शिम्री, और यूएल और आसाप की सन्तान में से जकर्याह और मत्तन्याह।
और हेमान की सन्तान में से यहूएल और शिमी, और यदूतून की सन्तान में से शमायाह और उज्जीएल।
इन्हों ने अपने भाइयों को इकट्ठा किया और अपने अपने को पवित्रा करके राजा की उस आज्ञा के अनुसार जो उस ने यहोवा से वचन पाकर दी थी, यहोवा के भवन के शुठ्ठ करने के लिये भीतर गए।
तब याजक यहोवा के भवन के भीतरी भाग को शुठ्ठ करने के लिये उस में जाकर यहोवा के मन्दिर में जितनी अशुठ्ठ वस्तुएं मिीं उन सब को निकालकर यहोवा के भवन के आंगन में ले गए, और लेवियों ने उन्हें उठाकर बाहर किद्रोन के नाले में पहुंचा दिया।
पहिले महीने के पहिले दिन को उन्हों ने पवित्रा करने का काम आरम्भ किया, और उसी महीने के आठवें दिन को वे यहोवा के ओसारे तक आ गए। इस प्रकार उन्हों ने यहोवा के भवन को आठ दिन में पवित्रा किया, और पहिले महीने के सोलहवें दिन को उन्हों ने उस काम को पूरा किया।
तब उन्हों ने राजा हिजकिरयाह के पास भीतर जाकर कहा, हम यहोवा के पूरे भवन को और पात्रों समेत होमबलि की वेदी और भेंट की रोटी की मेज को भी शुठ्ठ कर चुके।
और जितने पात्रा राजा आहाज ने अपने राज्य में विश्वासघात करके फेंक दिए थे, उनको भी हम ने ठीक करके पवित्रा किया है; और वे यहोवा की वेदी के साम्हने रखे हुए हैं।
तब राजा हिजकिरयाह सबेरे उठकर नगर के हाकिमों को इकट्ठा करके, यहोवा के भवन को गया।
तब वे राज्य और पवित्रास्थान और यहूदा के निमित्त सात बछड़े, सात मेढ़े, सात भेड़ के बच्चे, और पापबलि के लिये सात बकरे ले आए, और उस ने हारून की सन्तान के लेवियों को आज्ञा दी कि इन सब को यहोवा की वेदी पर चढ़ाएं।
तब उन्हों ने बछड़े बलि किए, और याजकों ने उनका लोहू लेकर वेदी पर छिड़क दिया; तब उन्हों ने मेढ़े बलि किए, और उनका लोहू भी वेदी पर छिड़क दिया। और भेड़ के बच्चे बलि किए, और उनका भी लोहू वेदी पर छिडक दिया।
तब वे पापबलि के बकरों को राजा और मण्डली के समीप ले आए और उन पर अपने अपने हाथ रखे।
तब याजकों ने उनको बलि करके, उनका लोहू वेदी पर छिड़क कर पापबलि किया, जिस से सारे इस्राएल के लिये प्रायश्चित्त किया जाए। क्योंकि राजा ने सारे इस्राएल के लिये होमबलि और पापबलि किए जाने की आज्ञा दी थी।
फिर उस ने दाऊद और राजा के दश गाद, और नातान नबी की आज्ञा के अनुसार जो यहोवा की ओर से उसके नबियों के द्वारा आई थी, झांझ, सारंगियां और वीणाएं लिए हुए लेवियों को यहोवा के भवन में खड़ा किया।
तब लेवीय दाऊद के चलाए बाजे लिए हुए, और याजक तुरहियां लिए हुए खड़े हुए।
तब हिजकिरयाह ने वेदी पर होमबलि चढ़ाने की आज्ञा दी, और जब होमबलि चढ़ने लगी, तब यहोवा का गीत आरम्भ हुआ, और तुरहियां और इस्राएल के राजा दाऊद के बाजे बजने लगे।
और मण्डली के सब लोग दणडवत करते और गानेवाले गाते और तुरही फूंकनेवाले फूंकते रहे; यह सब तब तक होेता रहा, जब तक होमबलि चढ़ न चुकी।
और जब बलि चढ़ चुकी, तब राजा और जितने उसके संग वहां थे, उन सभों ने सिर झुकाकर दणडवत किया।
और राजा हिजकिरयाह और हाकिमों ने लेवियों को आज्ञा दी, कि दाऊद और आसाप दश के भजन गाकर यहोवा की स्तुति करें। और उन्हों ने आनन्द के साथ स्तुति की और सिर नवाकर दणडवत किया।
तब हिजकिरयाह कहने लगा, अब तुम ने यहोवा के निमित्त अपना अर्पण किया है; इसलिये समीप आकर यहोवा के भवन में मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचाओ। तब मण्डली के लोगों ने मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचा दिए, और जितने अपनी इच्छा से देना चाहते थे उन्हों ने भी होमबलि पहुंचाए।
जो होमबलि पशु मण्डली के लाग ले आए, उनकी गिनती यह थी; सत्तर बैल, एक सौ मेढ़े, और दो सौ भेड़ के बच्चे; ये सब यहोवा के निमित्त होमबलि के काम में आए।
और पवित्रा किए हुए पशु, छे सौ बैल और तीन हजार भेड़- बकरियां थी।
परन्तु याजक ऐसे थेड़े थे, कि वे सब होमबलि पशुओं की खालें न उतार सके, तब उनके भाई लेवीय उस समय तक उनकी सहायता करते रहे जब तक वह काम निपट न गया, और याजकों ने अपने को पवित्रा न किया; क्योंकि लेवीय अपने को पवित्रा करने के लिये पवित्रा याजकों से अधिक सीधे मन के थे।
और फिर होमबलि पशु बहुत थे, और मेलबलि पशुओं की चब भी बहुत थी, और एक एक होमबलि के साथ अर्ध भी देना पड़ा। यों यहोवा के भवन में की उपासना ठीक की गई।
तब हिजकिरयाह और सारी प्रजा के लोग उस काम के कारण आनन्दित हुए, जो यहोवा ने अपनी प्रजा के लिये तैयार किया था; क्योंकि वह काम एकाएक हो गया था।
30
फिर हिजकिरयाह ने सारे इस्राएल और यहूदा में कहला भेजा, और एप्रैम और मनश्शे के पास इस आशय के पत्रा लिख भेजे, कि तुम यरूशलेम को यहोवा के भवन में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये फसह मनाने को आओ।
राजा और उसके हाकिमों और यरूशलेम की मणडली ने सम्मति की थी कि फसह को दूसरे महीने में मनाएं।
वे उसे उस समय इस कारण न मना सकते थे, क्योंकि थोड़े ही याजकों ने अपने अपने को पवित्रा किया था, और प्रजा के लोग यरूशलेम में इकट्ठे न हुए थे।
और यह बात राजा और सारी मणडली को अच्छी लगी।
तब उन्हों ने यह ठहरा दिया, कि बेर्शेबा से लेकर दान के सारे इस्राएलियों में यह प्रचार किया जाय, कि यरूशलेम में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये फसह मनाने को चले आओ; क्योंकि उन्हों ने इतनी बड़ी संख्या में उसको इस प्रकार न मनाया था जैसा कि लिखा है।
इसलिये हरकारे राजा और उसके हाकिमों से चिटि्ठयां लेकर, राजा की आज्ञा के अनुसार सारे इस्राएल और यहूदा में घूमे, और यह कहते गए, कि हे इस्राएलियो ! इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो, कि वह अश्शूर के राजाओं के हाथ से बचे हुए तुम लोगो की ओर फिरे।
और अपने पुरखाओं और भाइयों के समान मत बनो, जिन्हों ने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा से विश्वासघात किया था, और उस ने उन्हें चकित होने का कारण कर दिया, जैसा कि तुम स्वयं देख रहे हो।
अब अपने पुरखाओं की नाई हठ न करो, वरन यहोवा के अधीन होकर उसके उस पवित्रास्थान में आओ जिसे उस ने सदा के लिये पवित्रा किया है, और अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करो, कि उसका भड़का हुआ क्रोध तुम पर से दूर हो जाए।
यदि तुम यहोवा की ओर फिरोगे तो जो तुम्हारे भाइयों और लड़केबालों को बन्धुआ बनाके ले गए हैं, वे उन पर दया करेंगे, और वे इस देश में लौट सकेंगे क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु है, और यदि तुम उसकी ओर फिरोगे तो वह अपना मुंह तुम से न मोड़ेगा।
इस प्रकार हरकारे एप्रैम और मनश्शे के देशें में नगर नगर होते हुए जबूलून तक गए; परन्तु उन्हों ने उनकी हंसी की, और उन्हें ठट्ठों में उड़ाया।
तौभी आशेर, मनश्शे और जबूलून में से कुछ लोग दीन होकर यरूशलेम को आए।
और यहूदा में भी परमेश्वर की ऐसी शक्ति हुई, कि वे एक मन होकर, जो आज्ञा राजा और हाकिमों ने यहोवा के वचन के अनुसार दी थी, उसे मानने को तैयार हुए।
इस प्रकार अधिक लोग यरूशलेम में इसलिये इकट्ठे हुए, कि दूसरे महीने में अखमीरी रोटी का पर्व्व मानें। और बहुत बड़ी सभा इकट्ठी हो गई।
और उन्हों ने उठकर, यरूशलेम की वेदियों और धूम जलाने के सब स्थानों को उठाकर किद्रोन नाले में फेंक दिया।
तब दूसरे महीने के चौदहवें दिन को उन्हों ने फसह के पशु बलि किए तब याजक और लेवीय लज्जित हुए और अपने को पवित्रा करके होमबलियों को यहोवा के भवन में ले आए।
और वे अपने नियम के अनुसार, अर्थात् परमेश्वर के जन मूसा की व्यवस्था के अनुसार, अपने अपने स्थान पर खड़े हुए, और याजकों ने रक्त को लेवियों के हाथ से लेकर छिड़क दिया।
क्योंकि सभा में बहुते ऐसे थे जिन्हों ने अपने को पवित्रा न किया था; इसलिये सब अशुठ्ठ लोगों के फसह के पशुओं को बलि करने का अधिकार लेवियों को दिया गया, कि उनको यहोवा के लिये पवित्रा करें।
बहुत से लोगों ने अर्थात् एप्रैम, मनश्शे, इस्साकार और जबूलून में से बहुतों ने अपने को शुठ्ठ नहीं किया था, तौभी वे फसह के पशु का मांस लिखी हुई विधि के विरूद्ध खाते थे। क्योंकी हिजकिरयाह ने उनके लिये यह प्रार्थना की थी, कि यहोवा जो भला है, वह उन सभों के पाप ढांप दे;
जो परमेश्वर की अर्थात् अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज में मन लगाए हुए हैं, चाहे वे पवित्रास्थान की विधि के अनुसार शुठ्ठ न भी हों।
और यहोवा ने हिजकिरयाह की यह प्रार्थन सुनकर लोगों को चंगा किया।
और जो इस्राएली यरूशलेम में उपस्थित थे, वे सात दिन तक अखमीरी रोटी का पर्व्व बड़े आनन्द से मनाते रहे; और प्रतिदिन लेवीय और याजक ऊंचे शब्द के बाजे यहोवा के लिये बजाकर यहोवा की स्तुति करते रहे।
और जितने लेवीय यहोवा का भजन बुध्दिमानी के साथ करते थे, उनको हिजकिरयाह ने शान्ति के वचन कहे। इस प्रकार वे मेलबलि चढ़ाकर और अपने पुर्वजों के परमेश्वर यहोवा के सम्मुख पापांगीकार करते रहे और उस नियत पर्व्व के सातों दिन तक खाते रहे।
तब सारी सभा ने सम्मति की कि हम और सात दिन वर्व मानेंगे; सोे उन्हों ने और सात दिन आनन्द से पर्व्व मनाया।
क्योंकि यहूदा के राजा हिजकिरयाह ने सभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़- बकरियां दे दीं, और हाकिमों ने सभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़- बकरियां दीं, और बहुत से याजकों ने अपने को पवित्रा किया।
तब याजकों और लेवियों समेत यहूदा की सारी सभा, और इस्राएल से आए हुओं की सभा, और इस्राएल के देश से आए हुए, और यहूदा में रहनेवाले परदेशी, इन सभों ने आनन्द किया।
सो यरूशलेम में बड़ा आनन्द हुआ, क्योंकि दाऊद के पुत्रा इस्राएल के राजा सुलैमान के दिनों से ऐसी बात यरूशलेम में न हुई थी।
अन्त में लेवीय याजकों ने खड़े होकर प्रजा को आशीर्वाद दिया, और उनकी सुनी गई, और उनकी प्रार्थना उसके पपित्रा धाम तक अर्थात् स्वर्ग तक पहुंची।
31
जब यह सब हो चुका, तब जितने इस्राएली अपस्थित थे, उन सभों ने यहूदा के नगरों में जाकर, सारे यहूदा और बिन्यामीन और एप्रेम और मनश्शे में कि लाठों को तोड़ दिया, अशेरों को काट डाला, और ऊंचे स्थानों और वेदियों को गिरा दिया; और उन्हों ने उन सब का अन्त कर दिया। तब सब इस्राएली अपने अपने नगर को लौटकर, अपनी अपनी निज भूमि में पहुंचे।
और हिजकिरयाह ने याजकों के दलों को और लेवियों को वरन याजकों और लेवियों दोनों को, प्रति दल के अनुसार और एक एक मतुष्य को उसकी सेवकाई के अनुसार इसलिये ठहरा दिया, कि वे यहोवा की छावनी के द्वारों के भीतर होमबलि, मेलबलि, सेवा टहल, धन्यवाद और स्तुति किया करें।
फिर उस ने अपनी सम्पत्ति में से राजभाषा को होमबलियों के लिये ठहरा दिया; अर्थत् सबेरे और सांझ की होमबलि और विश्राम और नये चांद के दिनों और नियत समयों की होमबलि के लिये जैसा कि यहोवा की व्यवस्था में लिखा है।
और उस ने यरूशलेम में रहनेवालों को याजकों और लेवियों को उनका भाग देने की आज्ञा दी, ताकि वे यहोवा की व्यवस्था के काम मन लगाकर कर सकें।
यह आज्ञा सुनते ही इस्राएली अन्न, नया दाखमधु, टटका तेल, मधु आदि खेती की सब भांति की पहिली उपज बहुतायत से देने, और सब वस्तुओं का दशमांश अधिक मात्रा में लाने लगे।
और जो इस्राएली और यहूदी, यहूदा के नगरों में रहते थे, वे भी बैलों और भेड़- बकरियों का दशमांश, और उन पवित्रा वस्तुओं का दशमांश, जो उनके परमेश्वर यहोवा के निमित्त पवित्रा की गई थीं, लाकर ढेर ढेर करके रखने लगे।
इस प्रकार ढेर का लगाना उन्हों ने तीसरे महीने में आरम्भ किया और सातवें महीने में पूरा किया।
जब हिजकिरयाह और हाकिमों ने आकर उन ढेरों को देखा, तब यहोवा को और उसकी प्रजा इस्राएल को धन्य धन्य कहा।
तब हिजकिरयाह ने याजकों और लेवियों से उन ढेरों के विषय पूछा।
और अजर्याह महायाजक ने जो सादोक के घराने का था, उस से कहा, जब से लोग यहोवा के भवन में उठाई हुई भेंटें लाने लगे हैं, तब से हम लोग पेट भर खाने को पाते हैं, वरन बहुत बचा भी करता है; क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को आशीष दी है, और जो शेष रह गया है, उसी का यह बड़ा ढेर है।
तब हिजकिरयाह ने यहोवा के भवन में कोठरियां तैयार करने की आज्ञा दी, और वे तैयार की गई।
तब लोगों ने उठाई हुई भेंटें, दशमांश और पवित्रा की हुई वस्तुएं, सच्चाई से पहुंचाई और उनके मुख्य अधिकारी तो कोनन्याह नाम एक लेवीय और इसरा उसका भाई शिमी नायब था।
और कोनन्याह और उसके भाई शिमी के नीचे, हिजकिरयाह राजा और परमेश्वर के भवन के प्रधान अजर्याह दोनों की आज्ञा से अहीएल, अजज्याह, नहत, असाहेल, यरीमेत, योजाबाद, एलीएल, यिस्मक्याह, महत और बनायाह अधिकारी थे।
और परमेश्वर के लिये स्वेच्छाबलियों का अधिकारी यिम्ना लेवीय का पुत्रा कोरे था, जो पूर्व फाटक का द्वारापाल था, कि वह यहोवा की उठाई हुई भेंटें, और परमपवित्रा वस्तुएं बांटा करे।
और उसके अधिकार में एदेन, मिन्यामीन, येशू, शमायाह, अमर्याह और शकन्याह याजकों के नगरों में रहते थे, कि वे क्या बड़े, क्या छोटे, अपने भाइयों को उनके दलों के अनुसार सच्चाई से दिया करें,
और उनके अलावा उनको भी दें, जो पुरूषों की वंशावली के अनुसार गिने जाकर तीन वर्ष की अवस्था के वा उस से अधिक आयु के थे, और अपने अपने दल के अनुसार अपनी अपनी सेवकाई निबाहने को दिन दिन के काम के अनुसार यहोवा के भवन में जाया करते थे।
और उन याजकों को भी दें, जिनकी वंशावली उनके पितरों के घरानों के अनुसार की गई, और उन लेवियों को भी जो बीस वर्ष की अवस्था से ले आगे को अपने अपने दल के अनुसार, अपने अपने काम निबाहते थे।
और सारी सभा में उनके बालबच्चों, स्त्रियों, बेटों और बेटियों को भी दें, जिनकी वंशवली थी, क्योंकि वे सच्चाई से अपने को पवित्रा करते थे।
फिर हारून की सन्तान के याजकों को भी जो अपने अपने नगरों के चराईवाले मैदान में रहते थे, देने के लिये वे पुरूष नियुक्त किए गए थे जिनके नाम ऊपर लिखे हुए थे कि वे याजकों के सब पुरूषों और उन सब लेवियों को भी उनका भाग दिया करें जिनकी वंशावली थी।
और सारे यहूदा में भी हिजकिरयाह ने ऐसा ही प्रबन्ध किया, और जो कुछ उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में भला ओर ठीक और सच्चाई का था, उसे वह करता था।
और जो जो काम उस ने परमेश्वर के भवन की उपासना और व्यवस्था और आज्ञा के विषय अपने परमेश्वर की खोज में किया, वह उस ने अपना सारा मन लगाकर किया और उस में कृतार्थ भी हुआ।
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इन बातों और ऐसे प्रबन्ध के बाद अश्शूर का राजा सन्हेरीब ने आकर यहूदा में प्रवेश कर ओर गढ़वाले नगरों के विरूद्ध डेरे डालकर उनको अपने लाभ के लिये लेना चाहा।
यह देखकर कि सन्हेरीब निकट आया है और यरूशलेम से लड़ने की मनसा करता है,
हिजकिरयाह ने अपने हाकिमों और वीरों के साथ यह सम्मति की, कि नगर के बाहर के सोतों को पठवा दें; और उन्हों ने उसकी सहायता की।
इस पर बहुत से लोग इकट्ठे हुए, और यह कहकर, कि अश्शूर के राजा क्यों यहां आएं, और आकर बहुत पानी पाएं, उन्होंने सब सोतों को पाट दिया और उस नदी को सुखा दिया जो देश के मध्य होकर बहती थी।
फिर हिजकिरयाह ने हियाव बान्धकर शहरपनाह जहां कहीं टूटी थी, वहां वहां उसको बनवाया, और उसे गुम्मटों के बराबर ऊंचा किया और बाहर एक और शहरपनाह बनवाई, और दाऊदपुर में मिल्लो को दृढ़ किया। और बहुत से तीर और ढालें भी बनवाई।
तब उस ने प्रजा के ऊपर सेनापति नियुक्त किए और उनको नगर के फाटक के चौक में इकट्ठा किया, और यह कहकर उनको धीरज दिया,
कि हियाव बान्धो और दृढ हो तुम न तो अश्शूर के राजा से डरो और न उसके संग की सारी भीड़ से, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; क्योंकि जो हमारे साथ है, वह उसके संगियों से बड़ा है।
अर्थात् उसका सहारा तो मतुष्य ही है परन्तु हमारे साथ, हमारी सहायता और हमारी ओर से युठ्ठ करने को हमारा परमेश्वर यहोवा है। इसलिये प्रजा के लोग यहूदा के राजा हिजकिरयाह की बातों पर भरोसा किए रहे।
इसके बाद अश्शूर का राजा सन्हेरीब जो सारी सेना समेत लाकीश के साम्हने पड़ा था, उस ने अपने कर्मचारियों को यरूशलेम में यहूदा के राजा हिजकिरयाह और उन सब यहूदियों से जो यरूशलेम में थे यों कहने के लिये भेजा,
कि अश्शूर का राजा सन्हेरीब कहता है, कि तुम्हें किस का भरोसा है जिससे कि तुम घेरे हुए यरूशलेम में बैठे हो?
क्या हिजकिरयाह तुम से यह कहकर कि हमारा परमेश्वर यहोवा हम को अश्शूर के राजा के पंजे से बचाएगा तुम्हें नहीं भरमाता है कि तुम को भूखों प्यासों मारे?
क्या उसी हिजकिरयाह ने उसके ऊंचे स्थान और वेदियो दूर करके यहूदा और यरूशलेम को आज्ञा नहीं दी, कि तुम एक ही वेदी के साम्हने दणडवत करना और उसी पर धूप जलाना?
क्या तुम को मालूम नहीं, कि मैं ने और मेरे पुरखाओं ने देश देश के सब लोगों से क्या क्या किया है? क्या उन देशें की जातियों के देवता किसी भी उपाय से अपने देश को मेरे हाथ से बचा सके?
जितनी जातियों का मेरे पुरखाओं ने सत्यानाश किया है उनके सब देवताओं में से ऐसा कौन था जो अपनी प्रजा को मेरे हाथ से बचा सका हो? फिर तुम्हारा देवता तुम को मेरे हाथ से कैसे बचा सकेगा?
अब हिजकिरयाह तुम को इस रीति भुलाने अथवा बहकाने न पाए, और तुम उसकी प्रतीति न करो, क्योंकि किसी जाति या राज्य का कोई देवता अपनी प्रजा को न तो मेरे हाथ से और न मेरे पुरखाओं के हाथ से बचा सका। यह निश्चय है कि तुम्हारा देवता तुम को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।
इस से भी अधिक उसके कर्मचारियों ने यहोवा परमेश्वर की, और उसके दास हिजकिरयाह की निन्दा की।
फिर उस ने ऐसा एक पत्रा भेजा, जिस में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की निन्दा की ये बातें लिखी थीं, कि जैसे देश देश की जातियों के देवताओं ने अपनी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचाया वैसे ही हिजकिरयाह का देवता भी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।
और उन्हों ने ऊंचे शब्द से उन यरूशलेमियों को जो शहरपनाह पर बैठे थे, यहूदी बोली में पुकारा, कि उनको डराकर घबराहट में डाल दें जिस से नगर को ले लें।
और उन्हों ने यरूशलेम के परमेश्वर की ऐसी चर्चा की, कि मानो पृथ्वी के देश देश के लोगों के देवताओं के बराबर हो, जो मनुष्यों के बनाए हुए हैं।
तब इन घटनाओं के कारण राजा हिजकिरयाह और आमोस के पुत्रा यशायाह नबी दोनों ने प्रार्थना की और स्वर्ग की ओर दोहाई दी।
तब यहोवा ने एक दूत भेज दिया, जिस ने अश्शूर के राजा की छावनी में सब शूरवीरों, प्रधानों और सेनापतियों को नाश किया। और वह लज्जित होकर, आने देश को लौट गया। और जब वह अपने देवता के भवन में था, तब उसके निज पुत्रों ने वहीं उसे तलवार से मार डाला।
यों यहोवा ने हिजकिरयाह और यरूशलेम के निवासियों को अश्शूर के राजा सन्हेरीब और अपने सब शत्रुओं के हाथ से बचाया, और चारों ओर उनकी अगुवाई की।
और बहुत लोग यरूशलेम को यहोवा के लिये भेंट और यहूदा के राजा हिजकिरयाह के लिये अनमोल वस्तुएं ले आने लगे, और उस समय से वह सब जातियों की दृष्टि में महान ठहरा।
उन दिनों हिजकिरयाह ऐसा रोगी हुआ, कि वह मरा चाहता था, तब उस ने यहोवा से प्रार्थना की; और उस ने उस से बातें करके उसके लिये एक चमत्कार दिखाया।
परन्तु हिजकिरयाह ने उस उपकार का बदला न दिया, क्योंकि उसका मन फूल उठा था। इस कारण उसका कोप उस पर और यहूदा और यरूशलेम पर भड़का।
तब हिजकिरयाह यरूशलेम के निवासियों समेत अपने मन के फूलने के कारण दीन हो गया, इसलिये यहोवा का क्रोध उन पर हिजकिरयाह के दिनों में न भड़का।
और हिजकिरयाह को बहुत ही धन और विभव मिला; और उस ने चान्दी, सोने, मणियों, सुगन्धद्रव्य, ढालों और सब प्रकार के मनभावने पात्रों के लिये भणडार बनवाए।
फिर उस ने अन्न, नया दाखमधु, और टटका लेल के लिये भणडार, और सब भांति के पशुओं के लिये थान, और भेड़- बकरियों के लिये भेड़शालाएं बनवाई।
और उस ने नगर बसाए, और बहुत ही भेड़- बकरियों और गाय- बैलों की सम्पत्ति इकट्ठा कर ली, क्योंकि परमेश्वर ने उसे बहुत ही धन दिया था।
उसी हिजकिरयाह ने गीहोन नाम नदी के ऊपर के सोते को पाटकर उस नदी को नीचे की ओर दाऊदपुर की पच्छिम अलंग को सीधा पहुंचाया, और हिजकिरयाह अपने सब कामों में कृतार्थ होता था।
तौभी जब बाबेल के हाकिमों ने उसके पास उसके देश में किए हुए चमत्कार के विषय पूछने को दूत भेजे तब परमेश्वर ने उसको इसलिये छोड़ दिया, कि उसको परख कर उसके मन का सारा भेद जान ले।
हिजकिरयाह के और काम, ओर उसके भक्ति के काम आमोस के पुत्रा यशायाह नबी के दर्शन नाम पुस्तक में, और यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।
अन्त में हिजकिरयाह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको दाऊद की सन्तान के कब्रिस्तान की चढाई पर मिट्टी दी गई, और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने उसकी मृत्यु पर उसका आदरमान किया। और उसका पुत्रा मनश्शे उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
33
जब मनश्शे राज्य करने लगा तब वह बारह वर्ष का था, और यरूशलेम में पचपन वर्ष तक राज्य करता रहा।
उस ने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात् उन जातियों के घिनौने कामों के अनुसार जिनको यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से देश से तिकाल दिया था।
उस ने उन ऊंचे स्थानों को जिन्हें उसके पिता हिजकिरयाह ने तोड़ दिया था, फिर बनाया, और बाल नाम देवताओं के लिये वेदियां ओर अशेरा नाम मूरतें बनाई, और आकाश के सारे गण को दणडवत करता, और उनकी उपासना करता रहा।
और उस ने यहोवा के उस भवन मे वेदियां बनाई जिसके विषय यहोवा ने कहा था कि यरूशलेम में मेरा नाम सदा बना रहेगा।
वरन यहोवा के भवन के दोनों आंगनों में भी उस ने आकाश के सारे गण के लिये वेदियां बनाई।
फिर उस ने हिन्नोम के बेटे की तराई में अपने लड़केबालों को होम करके चढ़ाया, और शुभ- अशुभ मुहूत को मानता, और टोना और तंत्रा- मंत्रा करता, और ओझों और भूतसिध्दिवालों से व्यवहार करता था। वरन उस ने ऐसे बहुत से काम किए, जो यहोवा की दृष्टि में बुरे हैं और जिन से वह अप्रसन्न होता है।
और उस ने अपनी खुदवाई हुई मूर्त्ति परमेश्वर के उस भवन में स्थापन की जिसके विषय परमेश्वर ने दाऊद और उसके पुत्रा सुलैमान से कहा था, कि इस भवन में, और यरूशलेम में, जिसको मैं ने इस्राएल के सब गोत्रों में से चुन लिया है मैं आना नाम सर्वदा रखूंगा,
और मैं ऐसा न करूंगा कि जो देश मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को दिया था, उस में से इस्राएल फिर मारा मारा फिरे; इतना अवश्य हो कि वे मेरी सब आज्ञाओं को अर्थात् मूसा की दी हुई सारी व्यवस्था और विधियों और नियमों को पालन करने की चौकसी करें।
और मनश्शे ने यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को यहां तक भटका दिया कि उन्हों ने उन जातियों से भी बढ़कर बुराई की, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से विनाश किया था।
और यहोवा ने मनश्शे और उसकी प्रजा से बातें कीं, परन्तु उन्हों ने कुछ ध्यान नहीं दिया।
तब यहोवा ने उन पर अश्शूर के सेनापतियों से चढ़ाई कराई, और ये मनश्शे को नकेल डालकर, और पीतल की बेड़ियां जकड़कर, उसे बाबेल को ले गए।
तब संकट में पड़कर वह अपने परमेश्वर यहोवा को मानने लगा, और अपने पूर्वजों के परमेश्वर के साम्हने बहुत दीन हुआ, और उस से प्रार्थना की।
तब उस ने प्रसन्न होकर उसकी बिनती सुनी, और उसको यरूशलेम में पहुंचाकर उसका राज्य लौटा दिया। तब मनश्शे को निश्चय हो गया कि यहोवा ही परमेश्वर है।
इसके बाद उस ने दाऊदमुर से बाहर गीहोन के पश्चिम की ओर नाले में मच्छली फाटक तक एक शहरपनाह बनवाई, फिर ओपेल को घेरकर बहुत ऊंचा कर दिया; और यहूदा के सब गढ़वाले नगरों में सेनापति ठहरा दिए।
फिर उस ने पराये देवताओं को और यहोवा के भवन में की मूर्त्ति को, और जितनी वेदियां उस ने यहोवा के भवन के पर्वत पर, और यरूशलेम में बनवाई थीं, उन सब को दूर करके नगर से बाहर फेंकवा दिया।
तब उस ने यहोवा की वेदी की मरम्मत की, और उस पर मेलबलि और धन्यवादबलि चढ़ाने लगा, और यहूदियों को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की उपासना करते की आज्ञा दी।
तौभी प्रजा के लोग ऊंचे स्थानों पर बलिदान करते रहे, परन्तु केवल अपने परमेश्वर यहोवा के लिये।
मनश्शे के ओर काम, और उस ने जो प्रार्थना अपने परमेश्वर से की, और उन दर्शियों के वचन जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम से उस से बातें करते थे, यह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास में लिखा हुआ है।
और उसकी प्रार्थना और वह कैसे सुनी गई, और उसका सारा पाप और विश्वासघात और उस ने दीन होने से पहिले कहां कहां ऊंचे स्थान बनवाए, और अशेरा नाम और खुदी हुई मूर्त्तियां खड़ी कराई, यह सब होशे के वचनों में जिखा है।
निदान मनश्शे अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसे उसी के घर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्रा आमोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
जब आमोन राज्य करने लगा, तब वह बाईस वर्ष का था, और यरूशलेम में दो वर्ष तक राज्य करता रहा।
और उस ने अपने पिता मनश्शे की नाई वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है। और जितनी मूर्त्तियां उसके पिता मनश्शे ने खोदकर बनवाई थीं, वह भी उन सभों के साम्हने बलिदान करता और उन सभों की उपासना भी करता था।
और जैसे उसका पिता मनश्शे यहोवा के साम्हने दीन हुआ, वैसे वह दीन न हुआ, वरन आमोन अधिक दोषी होता गया।
और उसके कर्मचारियों ने द्रोह की गोष्ठी करके, उसको उसी के भवन में मार डाला।
तब साधारण लोगों ने उन सभों को मार डाला, जिन्हों ने राजा आमोन से द्रोह की गोष्ठी की थी; और लोगों ने उसके पुत्रा योशिरयाह को उसके स्थान पर राजा बनाया।
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जब योशिरयाह राज्य करने लगा तब वह आठ वर्ष का था, और यरूशलेम में इकतीस वर्ष तक राज्य करता रहा।
उस ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, और जिन माग पर उसका मूलपुरूष दाऊद चलता रहा, उन्हीं पर वह भी चला करता था और उस से न तो दाहिनी ओर मूड़ा, और न बाईं ओर।
वह लड़का ही था, अर्थात उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलमुरूष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा, और बारहवें वर्ष में वह ऊंचे स्थानों और अशॆरा नाम मूरतों को और खुदी और ढली हुई मूरतों को दूर करके, यहूदा और यरूशलेम को शुठ्ठ करने लगा।
और बालदेवताओं की वेदियां उसके साम्हने तोड़ डाली गई, और सूर्य की प्रतिमायें जो उनके ऊपर ऊंचे पर थी, उस ने काट डालीं, और अशेरा नाम, और खुदी और ढली हुई मूरतों को उस ने तोड़कर पीस डाला, और उनकी बुकनी उन लोगों की कबरों पर छितरा दी, जो उनको बलि चढ़ाते थे।
और पुजारियों की हडि्डयां उस ने उन्हीं की वेदियों पर जलाई। यों उस ने यहूदा और यरूशलेम को शुठ्ठ किया।
फिर मनश्शे, एप्रैम और शिमोन के बरन नप्ताली तक के नगरों के खणडहरों में, उस ने वेदियों को तोड़ डाला,
और अशेरा नाम और खुदी हुई मूरतों को पीसकर बुकनी कर डाला, और इस्राएल के सारे देश की सूर्य की सब प्रतिमाओं को काटकर यरूशलेम को लौट गया।
फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में जब वह देश और भवन दोनों को शुठ्ठ कर चुका, तब उस ने असल्याह के पुत्रा शापान और नगर के हाकिम मासेयाह और योआहाज के पुत्रा इतिहास के लेखक योआह को अपने परमेश्वर यहोवा के भवन की मरम्मत कराने के लिये भेज दिया।
सो उन्हों ने हिल्किरयाह महायाजक के पास जाकर जो रूपया परमेश्वर के भवन में लाया गया था, अर्थात् जो लेवीय दरबानों ने मनश्शियों, एप्रैमियों और सब बचे हुए इस्राएलियों से और सब यहूदियों और बिन्यामीनियों से और यरूशलेम के निवासियों के हाथ से लेकर इकट्ठा किया था, उसको सौंप दिया।
अर्थात् उन्हों ने उसे उन काम करनेवालों के हाथ सौंप दिया जो यहोवा के भवन के काम पर मुखिये थे, और यहोवा के भवन के उन काम करनेवालों ने उसे भवन में जो कुछ टूटा फूटा था, उसकी मरम्मत करने में लगाया।
अर्थात् उन्हों ने उसे बढ़इयों और राजों को दिया कि वे गढ़े हुए पत्थर और जोड़ों के लिये लकड़ी मोल लें, और उन घरों को पाटें जो यहूदा के राजाओं ने नाश कर दिए थे।
और वे मनुष्य सच्चाई से काम करते थे, और उनके अधिकारी मरारीय, यहत और ओबद्याह, लेवीय और कहाती, जकर्याह और मशुल्लाम काम चलानेवाले और गाने- बजाने का भेद सब जाननेवाले लेवीय भी थे।
फिर वे बोझियों के अधिकारी थे और भांति भांति की सेवकाई और काम चलानेवाले थे, और कुछ लेवीय मुंशी सरदार और दरबान थे।
जब वे उस रूपये को जो यहोवा के भवन में पहुंचाया गया था, निकाल रहे थे, तब हिल्किरयाह याजक को मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली।
तब हिल्किरयाह ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिल्किरयाह ने शापान को वह पुस्तक दी।
तब शापान उस पुस्तक को राजा के पास ले गया, और यह सन्देश दिया, कि जो जो काम तेरे कर्मचारियों को सौंपा गया था उसे वे कर रहे हैं।
और जो रूपया यहोवा के भवन में मिला, उसको उन्हों ने उणडेलकर मुखियों और कारीगरों के हाथों में सौंप दिया है।
फिर शापान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया कि हिल्किरयाह याजक ने मुझे एक पुस्तक दी है तब शपान ने उस में से राजा को पढ़कर सुनाया।
व्यवस्था की वे बातें सुनकर राजा ने अपने वस्त्रा फाढ़े।
फिर राजा ने हिल्किरयाह शापान के पुत्रा अहीकाम, मीका के पुत्रा अब्दोन, शापान मंत्री और असायाह नाम अपने कर्मचारी को आज्ञा दी,
कि तुम जाकर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहनेवालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विष्य यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिये भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।
तब हिल्करयाह ने राजा के और और दूतों समेत हुल्दा नबिया के पास जाकर उस से उसी बात के अनुसार बातें की, वह तो उस शल्लूम की स्त्री थी जो तोखत का पुत्रा और हस्रा का पोता और वस्त्रालय का रखवाला था : और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी।
उस ने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरूष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,
कि यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं इस स्थान और इस के निवासियों पर विपत्ति डालकर यहूदा के राजा के साम्हने जो पुस्तक पढ़ी गई, उस में जितने शाप लिखे हैं उन सभों को पूरा करूंगा।
उन लोगों ने मुझे त्यागकर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया है और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़क उठी है, और शान्त न होगी।
परन्तु यहूदा का राजा जिस ने तुम्हें यहोवा के पूछने को भेज दिया है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है,
कि इसलिये कि तू वे बातें सुनकर दीन हुआ, और परमेश्वर के साम्हने अपना सिर नवाया, और उसकी बातें सुनकर जो उसने इस स्थान और इस के निवासियों के विरूद्ध कहीं, तू ने मेरे साम्हने अपना सिर नवाया, और वस्त्रा फाड़कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है; यहोवा की यही बाणी है।
सुन, मैं तुझे तेरे पुरखाओं के संग ऐसा मिलाऊंगा कि तू शांति से अपनी कब्र को पहुंचाया जायगा; और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर, और इसके निवासियों पर डालना चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन लोगों ने लौटकर राजा को यही सन्देश दिया।
तब राजा ने सहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को इकट्ठे होने को बचलवा भेजा।
और राजा यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और लेवियों वरन छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग लेकर यहोवा के भवन को गया; तब उस न जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी उस में की सारी बातें उनको पढ़कर सुनाई।
तब राजा ने अपने स्थान पर खड़ा होकर, यहोवा से इस आशय की वाचा बान्धी कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूंगा, और अपने पूर्ण मन और पूर्ण जीव से उसकी आज्ञाएं, चितौनियों और विधियों का पालन करूंगा, और इन वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं, पूरी करूंगा।
और उस ने उन सभों से जो यरूशलेम में और बिन्यामीन में थे वैसी ही वाचा बन्धाई। और यरूशलेम के निवासी, परमेश्वर जो उनके पितरों का परमेश्वर था, उसकी वाचा के अनुसार करने लगे।
और योशिरयाह ने इस्राएलियों के सब देशों में से सब घिनौनी वस्तुओं को दूर करके जितने इस्राएल में मिले, उन सभों से उपासना कराई; अर्थात् उनके परमेश्वर सहोवा की उपासना कराई। और उसके जीवन भर उन्हों ने अपने पूवजों के परमेश्वर यहोवा के पीछे चलना न छोड़ा।
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और योशिरयाह ने यरूशलेम में यहोवा के लिये फसह पर्व माना और पहिले महीने के चौदहवें दिन को फसह का पशु बलि किया गया।
और उस ने याजकों को अपने अपने काम में ठहराया, और यहोवा के भवन में की सेवा करने को उनका हियाब बन्धाया।
फिर लेवीय जो सब इस्राएल लियों को सिखाते और यहोवा के लिये पवित्रा ठहरे थे, उन से उस ने कहा, तुम पवित्रा सन्दूक को उस भवन में रखो जो दाऊद के पुत्रा इस्राएल के राजा सुलैमान ने बनवाया था; अब तुम को कन्धों पर बोझ उठाना न होगा। अब अपने परमेश्वर यहोवा की और उसकी प्रजा इस्राएल की सेवा करो।
और इस्राएल के राजा दाऊद और उसके पुत्रा सुलैमान दोनों की लिखी हुई विधियों के अनुसार, अपने अपने पितरों के अनुसार, अपने अपने दल में तैयार रहो।
और तुम्हारे भाई लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार पवित्रास्थान में खड़े रहो, अर्थात् उनके एक भाग के लिये लेवियों के एक एक पितर के घराने का एक भाग हो।
और फसह के पशुओं को बलि करो, और अपने अपने को पवित्रा करके अपने भाइयों के लिये तैयारी करो कि वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सकें, जो उस ने मूसा के द्वारा कहा था।
फिर योशिरयाह ने सब लोगों को जो वहां उपस्थित थे, तीस हजार भेड़ों और बकरियों के बच्चे और तीन हजार बैल दिए थे; ये सब फसह के बलिदानों के लिये राजा की सम्पत्ति में से दिए गए थे।
और उसके हाकिमों ने प्रजा के लोगों, याजकों और लेवियों को स्वेच्छा - बलियों के लिये पशु दिए। और हिल्किरयाह, जकर्याह और यहीएल नाम परमेश्वर के भवन के प्रधानों ने याजकों को दो हजार छेसौ भेड -़ बकरियां। और तीन सौ बैल फसह के बलिदानों के लिए दिए।
और कोनन्याह ने और शमायाह और नतनेल जो उसके भाई थे, और हसब्याह, यीएल और योजाबाद नामक लेवियों के प्रधानों ने लेवियों को पांच हजार भेड़- बकरियां, और पांच सौ बैल फसह के बलिदानों के लिये दिए।
इस प्रकार उपासना की तैयारी हो गई, और राजा की आज्ञा के अनुसार याजक अपने अपने स्थान पर, और लेवीय अपने अपने दल में खड़े हुऐ।
तब फसह के पशु बलि किए गए, और याजक बलि करनेवालों के हाथ से लोहू को लेकर छिड़क देते और लेवीय उनकी खाल उतारते गए।
तब उन्हों ने होमबलि के पशु इसलिये अलग किए कि उन्हें लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार दें, कि वे उन्हें यहोवा के लिये चढ़वा दें जैसा कि मूसा की पुस्तक में लिखा है; और बैलों को भी उन्हों ने वैसा ही किया।
तब उन्हों ने फसह के पशुओं का मांस विधि के अनुसार आग में भूंजा, और पवित्रा वस्तुएं, हंडियों और हंडों और थालियों में सिझा कर फूत से लोगों को पहुंचा दिया।
तब उन्हों ने अपने लिये और याजकों के लिये तैयारी की, क्योंकि हारून की सन्तान के याजक होमबलि के पशु और चरबी रात तक चढ़ाते रहे, इस कारण लेवियों ने अपने लिये और हारून की सन्तान के याजकों के लिये तैयारी की।
और आसाप के वंश के गवैये, दाऊद, आसाप, हेमान और राजा के दश यदूतून की आज्ञा के अनुसार अपने अपने स्थान पर रहे, और द्वारपाल एक एक फाटक पर रहे। उन्हें अपना अपना काम छोड़ना न पड़ा, क्योंकि उनके भई लेवियों ने उनके लिये तैयारी की।
यों उसी दिन राजा योशिरयाह की आज्ञा के अनुसार फसह मनाने और यहोवा की बेदी पर होमबलि चढ़ाने के लिये यहोवा की सारी अपासना की तैयारी की गई।
जो इस्राएली वहां उपस्थित थे उन्हों ने फसह को उसी समय और अखमीरी रोटी के पर्व को सात दिन तक माना।
इस फसह के बराबर शमूएल नबी के दिनों से इस्राएल में कोई फसह मनाया न गया था, और न इस्राएल के किसी राजा ने ऐसा मनाया, जैसा योशिरयाह और याजकों, लेवियों और जितने यहूदी और इस्राएली उपस्थित थे, उनहों ने और यरूशलेम के निवासियों ने मनाया।
यह फसह योशिरयाह के राज्य के अठारहवें वर्ष में मनाया गया।
इसके बाद जब योशिरयाह भवन को तैयार कर चुका, तब मिस्र के राजा नको ने परात के पास के कुर्कमीश नगर से लड़ने को चढ़ाई की और योशिरयाह उसका साम्हना करने को गया।
परन्तु उस ने उसके पास दूतों से कहला भेजा, कि हे यहूदा के राजा मेरा तुझ से क्या काम ! आज मैं तुझ पर नहीं उसी कुल पर चढ़ाई कर रहा हूँ, जिसके साथ मैं युठ्ठ करता हूँ; फिर परमेश्वर ने मुझ से फुत करने को कहा है। इसलिये परमेश्वर जो मेरे संग है, उससे अलग रह, कहीं ऐसा न हो कि वह तुझे नाश करे।
परन्तु योशिरयाह ने उस से मुंह न मोड़ा, वरन उस से लड़ने के लिये भेष बदला, और नको के उन वचनों को न माना जो उस ने परमेश्वर की ओर से कहे थे, और मगिद्दॊ की तराई में उस से युठ्ठ करने को गया।
तब धनुर्धारियों ने राजा योशिरयाह की ओर तीर छोड़े; और राजा ने अपने सेवकों से कहा, मैं तो बहुत घायल हुआ, इसलिये मुझे यहां से ले जाओ।
तब उसके सेवकों ने उसको रथ पर से उतार कर उसके दूसरे रथ पर चढ़ाया, और यरूशलेम ले गये। और वह मर गया और उसके पुरखाओं के कब्रिस्तान में उसको मिट्टी दी गई। और यहूदियों और यरूशलेमियों ने योशिरयाह के लिए विलाप किया।
और यिर्मयाह ने योशिरयाह के लिये विलाप का गीत बनाया और सब गानेवाले और गानेवालियां अपने विलाप के गीतों में योशिरयाह की चर्चा आज तक करती हैं। और इनका गाना इस्राएल में एक विधि के तुल्य ठहराया गया और ये बातें विलापगीतों में लिखी हुई हैं।
योशिरयाह के और काम और भक्ति के जो काम उस ने उसी के अनुसार किए जो यहोवा की व्यवस्था में लिखा हुआ है।
और आदि से अन्त तक उसके सब काम इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
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तब देश के लोगों ने योशिरयाह के पुत्रा यहोआहाज को लेकर उसके पिता के स्थान पर यरूशलेम में राजा बनाया।
जब यहोआहाज राज्य करने लगा, तब वह तेईस वर्ष का था, और तीन महीने तक यरूशलेम में राज्य करता रहा।
तब मिस्र के राजा ने उसको यरूशलेम में राजगद्दी से उनार दिया, और देश पर सौ किक्कार चान्दी और किक्कार भर लोना जुरमाने में दणड लगाया।
तब मिस्र के राजा ने उसके भाई एल्याकीम को यहूदा और यरूशलेम का राजा बनाया और उसका नाम बदलकर यहोयाकीम रखा। और नको उसके भाई यहोआहाज को मिस्र में ले गया।
जब यहोयाकीम राज्य करने लगा, तब वह पचीस वर्ष का था, और ग्यारह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उस ने वह काम किया, जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा है।
उस पर बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने चढ़ाई की, और बाबेल ले जाने के लिये उसको बेड़ियां पहना दीं।
फिर नबूकदनेस्सर ने यहोवा के भवन के कुछ पात्रा बाबेल ले जाकर, अपने मन्दिर में जो बाबेल में था, रख दिए।
यहोयाकीम के और काम और उस ने जो जो घिनौने काम किए, और उस में जो जो बिराइयां पाई गई, वह इस्राएल और यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखी हैं। और उसका पुत्रा यहोयाकीन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
जब यहोयाकीन राज्य करने लगा, तब वह आठ वर्ष का था, और तीन महीने और दस दिन तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उस ने वह किया, जो परमेश्वर यहोवा की दुष्टि में बुरा है।
नये वर्ष के लगते ही नबूकदनेस्सर ने लोगों को भेजकर, उसे और यहोवा के भवन के मनभावने पात्रों को बाबेल में मंगवा लिया, और उसके भाई सिदकिरयाह को यहूदा और यरूशलेम पर राजा नियुक्त किया।
जब सिदकिरयाह राज्य करने लगा, तब वह इक्कीस वर्ष का था, और यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राज्य करता रहा।
और उस ने वही किया, जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा है। यद्यापि यिर्मयाह नबी यहोवा की ओर से बातें कहता था, तौभी वह उसके साम्हने दीन न हुआ।
फिर नबूकदनेस्सर जिस ने उसे परमेश्वर की शपथ खिलाई थी, उस से उस ने बलवा किया, और उस ने हठ किया और अपना मन कठोर किया, कि वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर न फिरे।
वरन सब प्रधान याजकों ने और लोगों ने भी अन्य जातियों के से घिनौने काम करके बहुत बड़ा विश्वासघात किया, और यहोवा के भवन को जो उस ने यरूशलेम में पवित्रा किया था, अशुठ्ठ कर डाला।
और उनके पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा ने बड़ा यत्न करके अपने दूतों से उनके पास कहला भेजा, क्योंकि वह अपनी प्रजा और अपने धाम पर तरस खाता था;
परन्तु वे परमेश्वर के दूतों को ठट्ठों में उड़ाते, उसके वचनों को तुच्छ जानते, और उसके नबियों की हंसी करते थे। निदान यहोवा अपनी प्रजा पर ऐसा झुंझला उठा, कि बचने का कोई उपाय न रहा।
तब उस ने उन पर कसदियों के राजा से चढ़ाई करवाई, और इस ने उनके जवानों को उनके पवित्रा भवन ही में तलवार से मार डाला। और क्या जवान, क्या कुंवारी, क्या बूढ़े, क्या पक्के बालवाले, किसी पर भी कोमलता न की; यहोवा ने सभों को उसके हाथ में कर दिया।
और क्या छोटे, क्या बड़े, परमेश्वर के भवन के सब पात्रा और यहोवा के भवन, और राजा, और उसके हाकिमों के खजाने, इन सभों को वह बाबेल में ले गया।
और कसदियो ने परमेश्वर का भवन फूंक दिया, और यरूशलेम की शहरपनाह को तोड़ ड़ाला, और आग लगा कर उसके सब भवनों को जलाया, और उस में का सारा बहुमूल्य सामान नष्ट कर दिया।
और जो तलवार से बच गए, उन्हें वह बाबेल को ले गया, और फारस के राज्य के प्रबल होने तक वे उसके और उसके बेटों- पोतों के आधीन रहे।
यह सब इसलिये हुआ कि यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के मुंह से निकला था, वह पूरा हो, कि देश अपने विश्राम कालों में मुख भोगता रहे। इसलिये जब तक वह सूना पड़ा रहा तब तक अर्थात् सत्तर वर्ष के पूरे होने तक उसको विश्राम मिला।
फारस के राजा कूस्रू के पहिले वर्ष में यहोवा ने उसके मन को उभारा कि जो वचन यिर्मयाह के मुंह से निकला था, वह पूरा हो। इसलिये उस ने अपने समस्त राज्य में यह प्रचार करवाया, और इस आशय की चिटि्ठयां लिखवाई,
कि फारस का राजा कू्रस्रू कहता है, कि स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा ने पृथ्वी भर का राज्य मुझे दिया है, और उसी ने मुझे आज्ञा दी है कि यरूशलेम जो यहूदा में है उस में मेरा एक भवन बनवा; इसलिये हे उसकी प्रजा के सब लोगो, तुम में से जो कोई चाहे कि उसका परमेश्वर यहोवा उसके साथ रहे, तो वह वहां रवाना हो जाए।
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- TextGrid Repository (2025). Christos Christodoulopoulos. 2 Chronicles (Hindi). Multilingual Parallel Bible Corpus. https://hdl.handle.net/21.11113/0000-0016-9BF6-4